Free Ration Scheme: हिमाचल प्रदेश में खुले बाजार में खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण लाखों परिवारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन अब इन परिवारों के लिए राहत की खबर आई है। केंद्र सरकार ने मार्च महीने के लिए हिमाचल को सस्ते राशन का आवंटन कर दिया है, जिसके बाद प्रदेश सरकार ने भी सरकारी डिपो के माध्यम से APL (Above Poverty Line) परिवारों को मिलने वाले आटे और चावल की मात्रा तय कर दी है।
राशन की मात्रा में कोई कटौती नहीं
लाखों APL परिवारों के लिए सबसे राहत की बात यह है कि सरकार ने मार्च महीने के राशन कोटे में कोई कटौती नहीं की है। पूरे प्रदेश में 4500 से अधिक सरकारी डिपो हैं, जहां से APL परिवारों को पहले की ही तरह 14 किलो आटा और 6 किलो चावल प्रति राशन कार्ड दिया जाएगा। अगस्त 2023 से राशन कोटे में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जबकि इससे पहले हर दो-तीन महीने में राशन की मात्रा घटाई या बढ़ाई जाती थी।
20,540 मीट्रिक टन राशन का हुआ आवंटन
केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश के लिए 20,540 मीट्रिक टन राशन का आवंटन किया गया है। इसमें 14,131 मीट्रिक टन गेहूं और 6,409 मीट्रिक टन चावल शामिल है। यह राशन आबादी के आधार पर प्रदेश के सभी जिलों में वितरित किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने सभी जिला खाद्य नियंत्रकों को इस बारे में आवश्यक निर्देश जारी कर दिए हैं।
फरवरी के लास्ट तक जारी होंगे डिपो धारकों को परमिट
सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि फरवरी के आखिरी सप्ताह में सभी डिपो धारकों को परमिट जारी कर दिए जाएंगे। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मार्च के पहले सप्ताह से ही सस्ता राशन डिपो में उपलब्ध हो जाए और लोगों को किसी तरह की दिक्कत न हो।
हिमाचल में कितने एपीएल कार्ड धारक हैं?
हिमाचल प्रदेश में APL कार्ड धारकों की कुल संख्या 12,24,448 है। इनमें दो प्रकार के कार्ड धारक हैं:
- टैक्स पेयर APL कार्ड धारक – 72,445
- नॉन-टैक्स पेयर APL कार्ड धारक – 11,52,003
अगर आबादी की बात करें तो हिमाचल में APL कार्ड धारकों की कुल आबादी 44,19,312 है। इसमें:
- नॉन-टैक्स पेयर APL परिवारों की आबादी – 41,26,583
- टैक्स पेयर APL परिवारों की आबादी – 2,92,729
इन सभी परिवारों को मार्च महीने में भी 14 किलो आटा और 6 किलो चावल प्रति राशन कार्ड दिया जाएगा।
राशन वितरण की प्रक्रिया कैसे होगी?
सरकारी डिपो में राशन वितरण को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रदेश सरकार ने एक सुनिश्चित प्रक्रिया तैयार की है:
- केंद्र सरकार से राशन का आवंटन होने के बाद प्रदेश सरकार इसे सभी जिलों में वितरित करती है।
- जिला खाद्य नियंत्रकों को पहले से निर्देश दिए जाते हैं ताकि राशन का सही तरीके से वितरण हो सके।
- डिपो धारकों को फरवरी के लास्ट तक परमिट जारी कर दिए जाते हैं, ताकि वे समय पर स्टॉक मंगवा सकें।
- मार्च के पहले सप्ताह से ही राशन डिपो में उपलब्ध हो जाता है, जिससे फ़ायदेमंदों को किसी तरह की परेशानी न हो।
क्यों नहीं हुई राशन की मात्रा में कटौती?
हिमाचल प्रदेश सरकार ने महंगाई और आम जनता की जरूरतों को देखते हुए राशन की मात्रा में कोई कटौती नहीं की है। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:
- खुले बाजार में खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें – बाजार में आटे और चावल के दाम बढ़ते जा रहे हैं, जिससे गरीब और मिडल क्लास के लोगों को मुश्किल हो रही है।
- महंगाई से राहत देना – सरकार चाहती है कि सस्ते राशन की सुविधा जारी रहे, ताकि जनता को कुछ राहत मिल सके।
- पिछले अनुभवों से सीख – पहले राशन की मात्रा बार-बार घटाई और बढ़ाई जाती थी, जिससे लोगों को दिक्कत होती थी। अब सरकार ने इसे स्थिर रखने का फैसला किया है।
लोगों को क्या फायदा होगा?
इस योजना से हिमाचल प्रदेश के लाखों लोगों को फायदा होगा। खासकर वे लोग जो बाजार से महंगा राशन खरीदने में असमर्थ हैं, उनके लिए सरकारी डिपो से मिलने वाला सस्ता राशन बहुत बड़ी राहत होगी।
इसका प्रमुख फायदा:
- आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को राहत मिलेगी।
- बाजार की महंगाई के बावजूद, उचित दर पर राशन उपलब्ध रहेगा।
- राशन की स्थिरता से लोगों को योजना पर भरोसा बना रहेगा।
- लंबी अवधि तक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
सरकार का क्या कहना है?
प्रदेश सरकार ने साफ किया है कि आने वाले महीनों में भी राशन की मात्रा में किसी तरह की कटौती नहीं की जाएगी। हिमाचल प्रदेश खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “हमारा प्रयास है कि हिमाचल प्रदेश में किसी भी नागरिक को खाद्य संकट का सामना न करना पड़े। इसलिए हम लगातार केंद्र सरकार से राशन का आवंटन समय पर प्राप्त कर रहे हैं और उसे जरूरतमंदों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।”