EWS Reservation: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए पंजाब के सभी प्राइवेट गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को EWS के छात्रों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह साफ किया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act, 2009) के प्रावधानों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। इसके लिए पंजाब सरकार को शैक्षणिक सत्र 2025-26 से इसे सुचारू रूप से लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे।
EWS को मिलेगी मुफ्त शिक्षा
मुख्य न्यायाधीश शील नागु और न्यायाधीश हरमीत सिंह ग्रेवाल की खंडपीठ ने इस मामले में अंतरिम आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा कि RTE अधिनियम की धारा 12(1)(C) के तहत आने वाले सभी प्राइवेट स्कूलों को अपनी कक्षा 1 की कुल सीटों में से 25% सीटें EWS के छात्रों के लिए आरक्षित करनी होंगी।
पंजाब सरकार को सख्त निर्देश
कोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि आरटीई के इस प्रावधान का पालन सख्ती से कराया जाए। साथ ही सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी पात्र छात्रों को उनके अधिकारों के अनुसार स्कूलों में प्रवेश मिले।
जनहित याचिका के बाद आया कोर्ट का आदेश
यह फैसला केएस राजू लीगल ट्रस्ट द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आया। याचिकाकर्ता ने पंजाब सरकार के ‘पंजाब आरटीई नियम, 2011’ के नियम 7(4) को कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता का तर्क था कि इस नियम के कारण कमजोर वर्ग के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 21-ए और आरटीई अधिनियम, 2009 का उल्लंघन करता है।
सरकारी नियम कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए बाधा क्यों बने?
पंजाब सरकार द्वारा बनाए गए नियम 7(4) के तहत यह प्रावधान किया गया था कि कमजोर वर्ग के छात्रों को पहले सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूलों में प्रवेश लेने का प्रयास करना होगा। अगर वहां सीटें नहीं बचतीं, तभी वे प्राइवेट स्कूलों में आरक्षित सीटों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
याचिकाकर्ता का दावा था कि यह नियम आरटीई अधिनियम की मूल भावना के खिलाफ है और इसके कारण अब तक पंजाब के किसी भी प्राइवेट स्कूल ने आरटीई के तहत किसी भी छात्र को प्रवेश नहीं दिया।
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर कोर्ट की सख्त फटकार
हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आरटीई अधिनियम के तहत प्राइवेट स्कूलों को 25% सीटें आरक्षित करनी ही होंगी और सरकारी नियमों को आरटीई के प्रावधानों के अनुरूप बनाना होगा। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि अगर स्कूलों ने इस आदेश का पालन नहीं किया, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सीबीएसई स्कूलों ने अब तक क्यों नहीं दिया प्रवेश?
याचिका में यह भी बताया गया कि पंजाब के 1000 से अधिक सीबीएसई से संबद्ध प्राइवेट स्कूल इसी नियम का हवाला देकर कमजोर वर्ग के छात्रों को प्रवेश देने से इनकार कर रहे हैं। जबकि सीबीएसई के नियम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि सभी संबद्ध स्कूलों को आरटीई अधिनियम, 2009 के प्रावधानों का पालन करना होगा।
सरकार को लागू करने होंगे कड़े कदम
कोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया कि:
- 2025-26 सत्र से पहले इस योजना को प्रभावी रूप से लागू किया जाए।
- प्राइवेट स्कूलों में कमजोर वर्ग के छात्रों का नामांकन सुनिश्चित किया जाए।
- आरटीई अधिनियम के उल्लंघन पर स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
- जनता को इस योजना की पूरी जानकारी दी जाए, ताकि अधिक से अधिक पात्र छात्र इसका लाभ उठा सकें।
अगली सुनवाई 27 मार्च 2025 को
कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च 2025 को तय की है। इस दौरान पंजाब सरकार को अदालत के सामने रिपोर्ट पेश करनी होगी कि अब तक क्या-क्या कदम उठाए गए हैं।