School Holiday : इस साल बसंत पंचमी की तिथि को लेकर लोगों में काफी असमंजस है। कुछ लोग 2 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी मना रहे हैं, तो कुछ लोग 3 फरवरी 2025 के मुहूर्त पर पूजा करेंगे। इसकी वजह यह है कि पंचमी तिथि 2 फरवरी को सुबह 11:53 बजे शुरू होकर 3 फरवरी को सुबह 9:36 बजे तक रहेगी। इसलिए कुछ लोग 2 फरवरी को और कुछ 3 फरवरी को बसंत पंचमी मनाएंगे।
स्कूलों में छुट्टी को लेकर कंफ्यूजन
बसंत पंचमी के दिन सरकारी छुट्टी होती है, लेकिन इस साल रविवार (2 फरवरी) को साप्ताहिक अवकाश होने की वजह से ज्यादातर स्कूलों में छुट्टी नहीं मिल पाएगी। हालांकि झारखंड सरकार ने 3 फरवरी को स्कूलों को बंद रखने का आदेश दिया है। इससे वहां के छात्रों को एक अतिरिक्त छुट्टी का लाभ मिलेगा।
बसंत पंचमी का महत्व और परंपराएं
बसंत पंचमी का त्योहार विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और मां सरस्वती की पूजा करते हैं। पीला रंग बसंत ऋतु के आगमन और फसलों की पकने की खुशी का प्रतीक माना जाता है। इस दिन विद्यार्थी अपनी किताबों, पेन, पेंसिल आदि की पूजा करके ज्ञान की देवी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
बसंत पंचमी 2025 का शुभ मुहूर्त
इस साल बसंत पंचमी की तिथि 2 फरवरी 2025 को सुबह 11:53 बजे शुरू होगी और 3 फरवरी को सुबह 9:36 बजे तक रहेगी। सरस्वती पूजा का शुभ समय सुबह 7:12 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक है। इस दौरान मां सरस्वती की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।
स्कूलों में बसंत पंचमी का उत्सव
बसंत पंचमी का त्योहार बच्चों के लिए बहुत खास होता है। इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। विद्यार्थी मां सरस्वती से ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद लेते हैं। इस दिन निबंध लेखन और भाषण प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं।
फरवरी 2025 में छुट्टियों का कैलेंडर
फरवरी का महीना छुट्टियों के मामले में काफी खास है। इस साल 1 फरवरी (शनिवार) को कई स्कूलों में छुट्टी थी। जिन स्कूलों में शनिवार और रविवार को छुट्टी होती है, वहां के बच्चों को दो दिन की छुट्टी मिल गई। झारखंड सरकार ने बसंत पंचमी के अवसर पर 3 फरवरी को स्कूलों को बंद रखने का आदेश दिया है। इसके अलावा, कई बैंक भी इस दिन बंद रहेंगे।
बसंत पंचमी और वसंत ऋतु का संबंध
बसंत पंचमी वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। यह त्योहार न केवल ज्ञान और कला को समर्पित है, बल्कि यह प्रकृति के नवजीवन का भी प्रतीक है। इस दिन से मौसम में बदलाव आता है और प्रकृति में नई ऊर्जा का संचार होता है।
बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा की विधि
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन सुबह स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें। फिर मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उन्हें पीले फूल, माला और फल अर्पित करें। इसके बाद सरस्वती वंदना और मंत्रों का जाप करें। पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें और मां सरस्वती से ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद मांगें।
बसंत पंचमी पर पीले रंग का महत्व
बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के कपड़े पहनने का विशेष महत्व है। पीला रंग बसंत ऋतु के आगमन, फसलों की पकने और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन पीले रंग के व्यंजन भी बनाए जाते हैं, जैसे केसरिया हलवा, पीले चावल और बेसन के लड्डू।
बसंत पंचमी पर स्कूलों में आयोजित कार्यक्रम
बसंत पंचमी के दिन स्कूलों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें सरस्वती पूजा, निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं। विद्यार्थी इस दिन मां सरस्वती से ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद लेते हैं।