Smart Meter Bijli: देशभर में बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर है. सरकारी और निजी कार्यालयों में स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है. अब तक पांच हजार से अधिक सरकारी कार्यालयों में स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं. जिससे उपभोक्ताओं को प्रतिदिन की बिजली खपत की सटीक जानकारी मिल सकेगी.
स्मार्ट मीटर से मिलेगी त्रुटिपूर्ण बिलिंग से राहत
अक्सर बिजली उपभोक्ताओं को गलत बिलिंग की समस्या से जूझना पड़ता था. लेकिन स्मार्ट मीटर लगने के बाद इस समस्या से निजात मिलेगी. उपभोक्ता अपने बिजली उपयोग की रियल-टाइम मॉनिटरिंग कर सकेंगे. जिससे ओवरबिलिंग की शिकायतें कम होंगी.
पांच डिवीजनों में चल रहा स्मार्ट मीटर लगाने का काम
बिजली विभाग के पांच डिवीजन बाराबंकी, रामसनेहीघाट, रामनगर, हैदरगढ़ और फतेहपुर में स्मार्ट मीटर लगाने का काम जोरों पर है. इन क्षेत्रों में कुल तीन लाख स्मार्ट मीटर लगाने की योजना बनाई गई है. जिनमें से पांच हजार से अधिक मीटर पहले ही लगाए जा चुके हैं. इस प्रक्रिया के तहत सरकारी कार्यालयों और कालोनियों को प्राथमिकता दी जा रही है.
घरों में भी लगाए जा रहे हैं स्मार्ट मीटर
नगर के पल्हरी और ओबरी इलाकों में कुछ उपभोक्ताओं के घरों में भी स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं. इन स्मार्ट मीटरों की खासियत यह है कि यदि किसी उपभोक्ता की बिजली खपत किलोवाट से अधिक होती है, तो उन्हें इंडिकेशन मिल जाएगा. जिससे वे अपनी बिजली खपत को नियंत्रित कर सकते हैं.
स्मार्ट प्रीपेड मीटर से मिलेगी छूट
स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के लिए अतिरिक्त लाभ भी लेकर आ रहे हैं. अगर कोई उपभोक्ता स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगवाता है, तो उसे बिजली बिल पर दो प्रतिशत की छूट मिलेगी. इसके अलावा स्मार्ट मीटर को नेट मीटर से भी कनेक्ट किया जा सकता है. जिससे सौर ऊर्जा उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं को अतिरिक्त फायदा मिलेगा.
मीटर रीडर की आवश्यकता होगी खत्म
अभी तक उपभोक्ताओं को बिजली बिल की जानकारी मीटर रीडर द्वारा दी जाती थी. लेकिन कई बार मीटर रीडर समय पर नहीं पहुंचते थे. जिससे उपभोक्ताओं को बिल की सटीक जानकारी नहीं मिल पाती थी. स्मार्ट मीटर लगने के बाद इस समस्या का समाधान हो जाएगा. उपभोक्ताओं को हर महीने उनके मोबाइल पर बिजली बिल की जानकारी मिल जाएगी और वे ऑनलाइन भुगतान भी कर सकेंगे.
बिजली विभाग के अधिकारी का बयान
बिजली विभाग के उपखंड अधिकारी प्रथम, दिनेश प्रजापति ने बताया कि स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद साबित होंगे. इनसे बिजली बिलिंग में पारदर्शिता आएगी और उपभोक्ताओं को त्रुटिपूर्ण बिलिंग की समस्या से छुटकारा मिलेगा. साथ ही समय पर बिल जमा करने की प्रवृत्ति भी बढ़ेगी.
बिजली निजीकरण पर जारी है विवाद
दूसरी ओर उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन द्वारा बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया को लेकर विरोध तेज हो गया है. सोमवार को सलाहकार चयन की तकनीकी बिड खोली जानी है। जिसे लेकर बिजली कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं.
बिजली कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन
बिजली कर्मचारी शक्ति भवन स्थित ऊर्जा मुख्यालय सहित विभिन्न जिलों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि बिजली के निजीकरण से उपभोक्ताओं को नुकसान होगा और बिजली दरों में बढ़ोतरी हो सकती है.
निजीकरण के खिलाफ अपील
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि ग्रामीण क्षेत्रों और घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली देने में निजी कंपनियों की विफलता को देखते हुए प्रदेश के 42 जिलों में बिजली के निजीकरण के निर्णय को निरस्त किया जाए. समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि ग्रेटर नोएडा और आगरा में निजी कंपनियों द्वारा किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है.
ग्रामीण इलाकों में बिजली संकट
ग्रेटर नोएडा के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति महज 10 से 12 घंटे हो रही है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आपूर्ति 24 घंटे तक मिल रही है. बिजली कर्मचारियों का आरोप है कि निजी कंपनियां केवल मुनाफे के लिए काम कर रही हैं और उपभोक्ताओं की सुविधा का ध्यान नहीं रख रही हैं.
निजीकरण से जुड़े संभावित प्रभाव
बिजली कर्मचारियों की नौकरियों पर संकट: यदि निजीकरण को लागू किया जाता है, तो सरकारी बिजली कर्मचारियों की नौकरियाँ खतरे में आ सकती हैं.
बिजली दरों में वृद्धि: यदि बिजली वितरण निजी कंपनियों को सौंप दिया जाता है, तो उपभोक्ताओं को महंगी बिजली खरीदनी पड़ सकती है.
ग्रामीण क्षेत्रों में कम बिजली आपूर्ति: निजी कंपनियाँ मुनाफे पर ध्यान देती हैं। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति प्रभावित हो सकती है.