Girl Child Announces: दक्षिण भारत में जनसंख्या वृद्धि का मुद्दा इन दिनों तेजी से चर्चा में है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के बाद अब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने भी अधिक बच्चों के जन्म को प्रोत्साहित करने की बात कही है. उनका मानना है कि राज्य में जन्म दर में गिरावट आ रही है, जो भविष्य में कई सामाजिक और आर्थिक चुनौतियां खड़ी कर सकती है.
तीसरे बच्चे पर प्रोत्साहन राशि की घोषणा
विजयनगरम से तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के सांसद अप्पलनैडू कलिसेट्टी ने जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एक अनोखी योजना की घोषणा की है. उन्होंने कहा है कि यदि किसी परिवार में तीसरे बच्चे का जन्म होता है और वह लड़की होती है, तो वह अपनी व्यक्तिगत आय से 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता देंगे. वहीं यदि बच्चा लड़का होता है, तो परिवार को एक गाय दी जाएगी. उनकी यह घोषणा सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है और खासकर टीडीपी कार्यकर्ताओं के बीच काफी सराही जा रही है.
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का समर्थन
मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने सांसद की इस पहल की सराहना की है. उन्होंने हाल ही में कहा था कि राज्य में जन्म दर 1.6 तक गिर गई है, जो बेहद चिंता का विषय है. उनका कहना है कि यदि यही रुझान जारी रहा, तो आने वाले वर्षों में राज्य की जनसंख्या में बुजुर्गों की संख्या बढ़ जाएगी. जिससे श्रम शक्ति में कमी आएगी और आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है. इसलिए उन्होंने महिलाओं से अधिक बच्चे पैदा करने की अपील की है.
क्या जनसंख्या वृद्धि सही दिशा में जा रही है?
भारत में लंबे समय तक जनसंख्या नियंत्रण पर जोर दिया गया. लेकिन अब कुछ राज्यों में जन्म दर में गिरावट को लेकर चिंता जताई जा रही है. दक्षिण भारत के कई राज्यों में प्रजनन दर दो से भी नीचे चली गई है, जिससे भविष्य में युवा श्रम शक्ति की कमी की आशंका है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या अधिक बच्चों को जन्म देने की अपील सही दिशा में जा रही है?
जनसंख्या और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन जरूरी
विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी देश या राज्य के लिए जनसंख्या और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन बनाना जरूरी होता है. यदि जन्म दर बहुत अधिक होती है, तो संसाधनों पर दबाव बढ़ता है. लेकिन यदि यह बहुत कम हो जाती है, तो आर्थिक विकास के लिए आवश्यक श्रम शक्ति की कमी हो सकती है. दक्षिण भारत में जनसंख्या वृद्धि को लेकर उठाए जा रहे कदम इसी चिंता को दर्शाते हैं.
मातृत्व अवकाश पर सरकार का बड़ा फैसला
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने महिला कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए मातृत्व अवकाश से जुड़े नियमों में बदलाव की घोषणा की है. अब तक यह अवकाश केवल दो बच्चों तक सीमित था. लेकिन अब इसे सभी बच्चों की डिलीवरी के लिए लागू किया जाएगा. इसका मतलब यह है कि सरकारी महिला कर्मचारी यदि तीसरे या चौथे बच्चे को जन्म देती हैं, तो भी उन्हें मातृत्व अवकाश मिलेगा. सरकार के इस फैसले को महिलाओं के अधिकारों की दृष्टि से एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
क्या जनसंख्या नियंत्रण नीति में बदलाव होगा?
भारत की जनसंख्या नीति अब तक परिवार नियोजन को प्राथमिकता देती आई है. लेकिन दक्षिण भारत में जन्म दर में गिरावट ने नई बहस छेड़ दी है. यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो संभव है कि कुछ राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण नीति में बदलाव किए जाएं और परिवारों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित किया जाए. हालांकि इसके सामाजिक और आर्थिक प्रभावों पर अभी भी विशेषज्ञों में मतभेद बना हुआ है.
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने सरकार की इस नीति की आलोचना करते हुए कहा है कि यह जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने की एक कोशिश है. उनका मानना है कि सरकार को पहले मौजूदा जनसंख्या के लिए रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने पर ध्यान देना चाहिए, न कि अधिक बच्चों को जन्म देने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.