Goat Farming Business: बकरी पालन भारतीय ग्रामीण आर्थिक ढांचे में एक महत्वपूर्ण कारोबार के रूप में उभरा है. इसे ‘गरीबों का एटीएम’ कहा जाता है क्योंकि यह न केवल तत्काल नकदी पैसे मिलता है बल्कि कम पूंजी निवेश में ज्यादा फायदा भी होता है. बकरी के हाट बाजारों की पहुंच से यह व्यापार और भी आसान हो जाता है.
बकरी पालन के फायदे
एक बकरी पालक के अनुभव से सीखते हुए, अररिया जिले के भरगामा प्रखंड के चरितर मुखिया का उदाहरण सामने आता है, जिन्होंने महज 15 बकरियों से अपने बकरी पालन व्यापार की शुरुआत की. महत्वपूर्ण यह है कि एक बकरी सीजन में दो बच्चे दे सकती है जिससे प्रति बकरी 8 से 10 हजार रुपए की कमाई (earnings per goat) संभव है. इस तरह वे वर्ष में लगभग 1 लाख रुपए की कमाई कर लेते हैं.
बकरी के दूध का बाजार
बकरी के दूध की मांग न केवल स्थानीय बाजारों में बल्कि व्यापक रूप में भी अधिक होती है. यह दूध न केवल पोषण से भरपूर होता है बल्कि बच्चों के लिए अत्यंत लाभकारी (beneficial for children) भी माना जाता है. इसे देखते हुए बकरी पालकों के लिए दूध की बिक्री एक अतिरिक्त आय स्रोत बन सकती है.
बकरी पालन की उपयोगिता और सरकारी योगदान
बकरी पालन न केवल आर्थिक लाभ मिलता है बल्कि यह ग्रामीण समुदायों में स्व-रोजगार (self-employment) को बढ़ावा देता है. यह विशेष रूप से महिलाओं के लिए भी एक प्रभावी माध्यम साबित हो सकता है, जो घरेलू स्तर पर बकरी पालन कर अपनी और अपने परिवार की आर्थिक आत्मनिर्भरता सुनिश्चित कर सकती हैं.