Admission Age Limit: कर्नाटक सरकार ने कक्षा 1 में प्रवेश के लिए बच्चों की उम्र सीमा को 6 साल कर दिया है, जिसे 1 जून तक पूरा करना आवश्यक है. यह बदलाव नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP 2020) के तहत किया गया है और इसने लाखों बच्चों और उनके माता-पिता को मुश्किल में डाल दिया है. यह नियम विशेषकर उन बच्चों के लिए समस्या का कारण बन रहा है जिन्होंने 2021-22 की पुरानी व्यवस्था के तहत प्री-प्राइमरी शिक्षा शुरू की थी.
पुरानी सरकार की छूट और नए चुनौतियां
पूर्व बीजेपी सरकार ने माता-पिता के विरोध के बाद 2023-24 और 2024-25 के लिए इस नियम में छूट दी थी. हालांकि, 2025-26 से यह छूट खत्म हो जाएगी, जिससे 2022-23 में प्री-स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. इससे बच्चों को एक और साल प्री-प्राइमरी में बिताना पड़ेगा, जिससे उन पर और उनके परिवारों पर आर्थिक (Economic Burden on Families) और मानसिक दबाव बढ़ेगा.
माता-पिता की समस्याएं और आर्थिक चिंताएँ
बेंगलुरु में करीब 50,000 बच्चे इस नए नियम से प्रभावित हो रहे हैं. अभिभावकों ने इस बदलाव से उत्पन्न होने वाली आर्थिक चुनौतियों के बारे में चिंता जताई है. वे इस बात को लेकर भी परेशान हैं कि उनके बच्चे अपने सहपाठियों से पीछे रह जाएंगे, जो भावनात्मक रूप से (Emotional Impact on Children) उनके लिए कठिन होगा.
अन्य राज्यों की तुलना में कर्नाटक की स्थिति
महाराष्ट्र, दिल्ली, ओडिशा, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में पहले से दाखिला ले चुके बच्चों के लिए इस नियम में छूट दी गई है. कर्नाटक के अभिभावकों ने इसी तरह की छूट की मांग की है, ताकि उनके बच्चों को भी समान अवसर मिल सकें.
अभिभावकों की मांग और सरकारी प्रतिक्रिया
अभिभावकों ने मांग की है कि जो बच्चे नवंबर 2022 से पहले प्री-प्राइमरी में दाखिल हुए थे, उन्हें पुरानी उम्र सीमा के अनुसार कक्षा 1 में प्रवेश की अनुमति दी जाए. सार्वजनिक शिक्षा आयुक्त के.वी. त्रिलोक चंद्रा से मुलाकात के दौरान इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा हुई और आश्वासन दिया गया कि उचित कदम उठाए जाएंगे.