लोन EMI न भरने वालों के लिए बड़ी खबर, नहीं होंगे डिफॉल्टर Bank Loan Rules

Bank Loan Rules: आज के समय में लोग अपने सपनों को पूरा करने के लिए EMI की सुविधा के साथ लोन लेते हैं। चाहे घर खरीदना हो, कार लेना हो या शिक्षा के लिए धन की जरूरत हो, लोग बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लोन लेकर अपनी जरूरतें पूरी करते हैं। लेकिन कई बार परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं कि व्यक्ति समय पर EMI नहीं चुका पाता, जिससे आर्थिक संकट और मानसिक तनाव बढ़ सकता है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक महत्वपूर्ण रूल लागू किया है।

RBI का नया रूल कहता है?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति लोन की EMI समय पर नहीं चुका पा रहा है, तो उसे रीस्ट्रक्चरिंग (Loan Restructuring) का विकल्प मिल सकता है। इसका मतलब यह है कि लोन की अवधि बढ़ाकर या EMI की राशि घटाकर भुगतान को आसान बनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति की मासिक EMI 50,000 रुपये है और वह इसे चुकाने में असमर्थ है, तो उसकी लोन अवधि बढ़ाकर EMI को 25,000 रुपये तक कम किया जा सकता है। इससे लोन चुकाने में सुविधा मिलती है और आर्थिक तनाव कम होता है।

लोन रीस्ट्रक्चरिंग कैसे फायदेमंद है?

  1. EMI का बोझ कम होगा – मासिक किस्त कम होने से व्यक्ति को अपनी बाकी वित्तीय जरूरतें पूरी करने में मदद मिलती है।
  2. लोन डिफॉल्टर के टैग से बचाव – समय पर भुगतान न होने से लोन डिफॉल्टर का टैग लग सकता है, जिससे भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो जाता है।
  3. आर्थिक स्थिरता बनाए रखना – वित्तीय संकट से उबरने के लिए लोन रीस्ट्रक्चरिंग एक अच्छा उपाय है, जिससे व्यक्ति को आर्थिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।

CIBIL स्कोर और लोन की मंजूरी

CIBIL (Credit Information Bureau India Limited) लोन और क्रेडिट कार्ड खर्चों को ट्रैक करता है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना काल से पहले के स्तर पर पर्सनल लोन (Personal Loan) और क्रेडिट कार्ड का उपयोग बढ़ गया है। यह आंकड़ा अब पहले से भी अधिक हो चुका है।

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जब कोई बैंक लोन देता है, तो वह व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री (Credit History) की जांच करता है। क्रेडिट स्कोर यह दर्शाता है कि कोई व्यक्ति समय पर लोन चुकाने के कितना लायक है। बैंकों को लोन देने से पहले यह देखना चाहिए कि व्यक्ति का क्रेडिट रिकॉर्ड मजबूत है या नहीं। अगर कोई लोन डिफॉल्टर है, तो बैंक उसे लोन देने से मना कर सकते हैं।

CIBIL स्कोर कैसे प्रभावित होता है?

  • समय पर EMI चुकाने से स्कोर बेहतर होता है।
  • लोन डिफॉल्ट करने से CIBIL स्कोर कम हो जाता है।
  • क्रेडिट कार्ड का सही उपयोग और समय पर भुगतान करने से स्कोर अच्छा बना रहता है।
  • 700 से अधिक स्कोर होने पर बैंक आसानी से लोन दे सकते हैं।

CIBIL स्कोर 300 से 900 के बीच होता है। जिनका स्कोर 700 से ऊपर होता है, उन्हें आसानी से लोन मिल जाता है। वहीं, जिनका स्कोर कम होता है, उन्हें लोन मिलने में कठिनाई हो सकती है। बेहतर स्कोर आपकी आर्थिक स्थिरता और भरोसेमंद वित्तीय स्थिति को दर्शाता है।

लोन चुकाने में देरी होने पर क्या करें?

  1. बैंक से संपर्क करें – यदि आपको EMI चुकाने में कठिनाई हो रही है, तो बैंक से बात करें और लोन रीस्ट्रक्चरिंग का अनुरोध करें।
  2. लोन अवधि बढ़वाएं – लोन की अवधि बढ़ाकर मासिक EMI कम की जा सकती है।
  3. आधिकारिक वित्तीय सलाह लें – किसी वित्तीय एक्सपर्ट से सलाह लें, जो आपको सही समाधान दे सकता है।
  4. एक्स्ट्रा आय के साधन खोजें – अपनी आय बढ़ाने के लिए एक्स्ट्रा कार्य या निवेश के ऑप्शन तलाशें।

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