House Construction New Rules: भारत के अनेक शहरों में प्रॉपर्टी की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे लोग अब बड़े शहरों की बजाय छोटे इलाकों में जमीन खरीदने की ओर अग्रसर हो रहे हैं. यह प्रवृत्ति न केवल आवासीय उद्देश्यों के लिए बल्कि वाणिज्यिक और औद्योगिक उपयोग के लिए भी देखी जा रही है. हालांकि, खेती की जमीन पर घर बनाने के लिए कुछ विशेष नियम होते हैं जिनका पालन करना आवश्यक है.
खेती की जमीन पर घर बनाने के नियम
खेती की जमीन पर घर बनाने के लिए जमीन का कनवर्जन (land conversion) आवश्यक होता है. यह प्रक्रिया भूमि को खेती से गैर-खेती श्रेणी में बदलने के लिए की जाती है. अधिकांश राज्यों में, खेती की जमीन पर बिना कनवर्जन के घर बनाना गैर-कानूनी (illegal) है.
कनवर्जन की प्रक्रिया और राज्यों के नियम
खेत में घर की प्रक्रिया राज्यों के अनुसार भिन्न होती है. उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश सरकार ने “जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम” के तहत धारा 143 को संशोधित करके रियल एस्टेट डेवलपर्स को उपजाऊ भूमि पर निर्माण की अनुमति दी. कर्नाटक सरकार ने भी कर्नाटक भूमि राजस्व अधिनियम में बदलाव कर खरीदार को कनवर्जन की त्वरित अनुमति प्रदान की है.
जमीन के लिए आवश्यक दस्तावेज़
खेत में घर के लिए जरूरी दस्तावेजों में मालिक का पहचान पत्र, मालिकाना हक दस्तावेज, सेल डीड, म्यूटेशन डीड, गिफ्ट पार्टिशन डीड (अगर लागू हो), निल इनकंबरेंस सर्टिफिकेट, और नगर पालिका या ग्राम पंचायत से एनओसी शामिल हैं.
खेत में घर बनाने से पहले जान ले ये बात
जमीन खरीदने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि जमीन किसके नाम पर है और उस पर कोई विवाद तो नहीं है. कनवर्जन के लिए वक्त से पहले सभी जरूरी अनुमतियां प्राप्त कर लेनी चाहिए और जमीन पर किसी तरह का कर्ज या बंधक नहीं होना चाहिए.