Bear Bottle Color: बीयर की बोतलों का रंग क्यों हरा या भूरा होता है, इसके पीछे एक दिलचस्प इतिहास है. सबसे पहले बीयर की मैन्युफैक्चरिंग मिस्र में हुई थी, जहां पहली बार इसे शीशे की बोतलों में भरा गया था.
ट्रांसपेरेंट बोतलों की समस्या
प्रारंभिक दौर में, ट्रांसपेरेंट (स्पष्ट) शीशे की बोतलें उपयोग में लाई गईं. जल्द ही यह पाया गया कि सूरज की किरणों के प्रभाव से बीयर के स्वाद में फर्क पड़ता है और वह खराब हो जाती है.
सूरज की किरणों का नकारात्मक प्रभाव
बीयर जब सीधे सूरज की किरणों (UV Rays) के संपर्क में आती है, तो उसका स्वाद बदल जाता है और उसमें से बदबू आने लगती है. इसे समझने के लिए वैज्ञानिकों ने कई प्रयोग किए.
रंगों की परत का प्रयोग
अनुसंधान के बाद, बियर बनाने वाली कंपनियों ने बीयर की बोतलों पर भूरे और हरे रंग की परत चढ़ाना शुरू किया. यह परत उन्हें सूरज की किरणों के प्रभाव से बचाती है और बीयर के स्वाद को संरक्षित करती है.
हरे और भूरे रंग की बोतलें
इन परतों की सफलता के बाद, हरे और भूरे रंग की बोतलें विश्वव्यापी रूप से प्रचलित हो गईं. ये बोतलें न केवल बीयर को बाहरी प्रभावों से बचाती हैं बल्कि इसके स्वाद को भी लंबे समय तक संरक्षित रखती हैं.