Coldest town on Earth: सर्दियों का मौसम आते ही उत्तरी भारत में ठंड बढ़ जाती है। दिल्ली-एनसीआर सहित कई इलाकों में घना कोहरा छाने लगता है, और तापमान 3-4 डिग्री तक गिर जाता है। लेकिन, दुनिया में कुछ ऐसी जगहें भी हैं, जहां हमेशा भीषण ठंड पड़ती है। उन्हीं में से एक रूस का ओम्याकॉन कस्बा है, जहां तापमान -60 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि वहां के लोग इतनी ठंड में कैसे जीते हैं, उनका रहन-सहन कैसा है, और वे किन मुश्किलों का सामना करते हैं।
दुनिया का सबसे ठंडा रिहायशी इलाका
ओम्याकॉन, रूस के साइबेरिया क्षेत्र में स्थित है और इसे दुनिया की सबसे ठंडी बस्ती कहा जाता है। इस कस्बे में औसत तापमान -50 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है और कई बार यह -60 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। खास बात यह है कि यहां करीब 500 लोग रहते हैं, जो इस भीषण ठंड को झेलते हुए अपनी जिंदगी जीते हैं।
बर्फीली ठंड में कैसे जीते हैं लोग?
ओम्याकॉन के लोगों का रहन-सहन बेहद कठिन होता है। यहां के लोग हमेशा भारी ऊनी कपड़े पहनकर रखते हैं और अपनी गाड़ियों को 24 घंटे चालू रखते हैं। अगर कोई गाड़ी बंद हो जाए, तो उसका इंजन दोबारा स्टार्ट करना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
मीट के बिना जीवन इम्पॉसिबल
इतनी ठंड में खेती करना संभव नहीं होता, इसलिए यहां के लोग मुख्य रूप से मांस पर निर्भर रहते हैं। वे रेंडियर और घोड़े का मांस खाते हैं, जो उन्हें शरीर में गर्मी बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा, यहां पर फ्रोजन फूड का भी खूब इस्तेमाल होता है।
-50 डिग्री में भी खुलता है स्कूल
यहां के बच्चों का एक स्कूल है, जो तब तक खुला रहता है जब तक तापमान -52 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिर जाता। इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को इतनी ठंड में भी पढ़ाई करनी पड़ती है। सर्दियों में यहां कोई खेलकूद नहीं होता, क्योंकि ठंड में पसीना बहाने से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है।
सिर्फ 3 घंटे की रोशनी, बाकी समय अंधेरा
सर्दियों में ओम्याकॉन में दिन के सिर्फ 3 घंटे ही सूरज की रोशनी रहती है, जबकि बाकी समय अंधेरा छाया रहता है। वहीं, गर्मियों में स्थिति उलट होती है, जब 21 घंटे तक दिन रहता है और केवल 3 घंटे के लिए रात होती है।
-60 डिग्री में भी चलते हैं कामकाज
ओम्याकॉन के लोग मछली पकड़ने (आइस फिशिंग) का काम करते हैं। पास में ही लीना नदी बहती है, जहां से वे मछलियां पकड़ते हैं और उन्हें याकुत्स्क शहर में बेचकर अपनी आजीविका कमाते हैं। इसके अलावा, यहां के लोग रेंडियर और घोड़े का मांस भी बेचते हैं।
इतनी ठंड में मोबाइल फोन भी नहीं चलता
ओम्याकॉन में इतनी ठंड पड़ती है कि पेन की इंक से लेकर पानी तक सब जम जाता है। यहां मोबाइल फोन काम नहीं करते, क्योंकि ठंड के कारण उनकी बैटरी जल्दी खत्म हो जाती है। इसलिए, लोग मुख्य रूप से रेडियो और अन्य पारंपरिक साधनों का इस्तेमाल करते हैं।
पर्यटन भी इनकम का सोर्स
हालांकि ओम्याकॉन में रहना बेहद मुश्किल है, लेकिन यहां पर पर्यटक भी आते हैं। साल 2011 से ‘पोल ऑफ द कोल्ड’ फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है, जिसमें स्थानीय कलाकार अपनी संस्कृति का प्रदर्शन करते हैं और इससे उन्हें कमाई भी होती है।