Gold Coins: बुरहानपुर जिले का असीरगढ़ किला इन दिनों खबरों में है क्योंकि वहां सोने और चांदी के पुराने मुगलकालीन सिक्कों की खोज जोरों पर है. इस खोज ने न केवल स्थानीय लोगों की, बल्कि इतिहासकारों की भी रुचि बढ़ा दी है.
खोज के लिए जुटे ग्रामीण
हर शाम, ग्रामीण अपने साथ टॉर्च, फावड़ा और अन्य खुदाई उपकरण लेकर किले के आसपास इकट्ठा होते हैं और रात के अंधेरे में खुदाई करते हैं. इस प्रयास में सैकड़ों ग्रामीण शामिल हो रहे हैं, और कई एकड़ जमीन पहले ही खोदी जा चुकी है.
तकनीक का उपयोग और अफवाहों का बाजार
कुछ ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें सोने के सिक्के भी मिले हैं, लेकिन इस बारे में खुलकर बात करने से वे कतरा रहे हैं. मेटल डिटेक्टर का इस्तेमाल कर रहे कुछ लोगों को भी सफलता मिली है, जिससे दिन में इन खेतों में गड्ढे ही गड्ढे नजर आ रहे हैं.
खोदाई की शुरुआत और पुलिस की जांच
यह सिलसिला तीन महीने पहले शुरू हुआ, जब इंदौर-इच्छापुर नेशनल हाईवे की खुदाई के दौरान सिक्कों की अफवाहें फैलने लगीं. हालांकि पुलिस और अन्य अधिकारीयों की जांच में कोई ठोस सबूत नहीं मिले, फिर भी ग्रामीणों ने खुदाई जारी रखी.
पुरातत्व विभाग की आगे की योजना
पुरातत्व विभाग के अधिकारी विपुल मेश्राम ने कहा कि असीरगढ़ किले और इसके आसपास का क्षेत्र एएसआई के संरक्षण में है, और वे जल्द ही मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेंगे. यदि कोई गलत तरीके से खोदाई कर रहा है, तो उचित कार्रवाई की जाएगी.
मुगलकालीन सिक्कों का ऐतिहासिक महत्व
पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद के सदस्यों के अनुसार, मुगल काल में असीरगढ़ किले के पास एक टकसाल (Mint) हुआ करती थी, जहां सोने-चांदी के सिक्के बनाए जाते थे. युद्ध के दौरान टकसाल नष्ट हो गया था, जिसके कारण सिक्के और स्वर्ण भंडार दब गए थे.