प्राइवेट स्कूलों को डमी एडमिशन करना पड़ेगा महंगा, ऐसे स्कूलों पर CBSE ने लिया ऐक्शन Private Schools

Private Schools: शिक्षा मंत्रालय ने यह साफ कर दिया है कि डमी एडमिशन करने वाले स्कूलों के खिलाफ ऐक्शन जारी रहेगा। लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में शिक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी है कि डमी एडमिशन करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई की जा रही है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के नियमों के तहत, बोर्ड परीक्षा के लिए नियमित स्कूल जाना और न्यूनतम हाजिरी की शर्त को पूरा करना अनिवार्य है।

सीबीएसई का स्कूलों पर कड़ा रुख

सीबीएसई ने हाल ही में स्कूलों के 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं के रजिस्ट्रेशन और कैंडिडेट लिस्ट के डेटा की जांच की। इस जांच के आधार पर कई स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। पिछले वर्ष सितंबर में 27 स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी, जिनमें से 21 स्कूलों की अफ्लिक्शन समाप्त कर दी गई और 6 स्कूलों को डाउनग्रेड कर दिया गया।

अटेंडेंस को लेकर सख्ती

शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि स्कूलों के डेटा का विश्लेषण किया जाता है और जिन स्कूलों के डेटा मे डाउट पाया जाता है, उन्हें पहले कारण बताओ नोटिस भेजा जाता है। उसके बाद उनका निरीक्षण किया जाता है और जरूरत पड़ने पर कड़ी कार्रवाई की जाती है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि सीबीएसई ने हाजिरी संबंधी नियमों को कड़ाई से लागू करने के दिशा-निर्देश जारी किए हैं। समय-समय पर स्कूलों को इस बारे में सूचित भी किया जाता है।

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क्या है डमी एडमिशन और क्यों है समस्या?

देश में डमी एडमिशन की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। कई छात्र केवल बोर्ड परीक्षा के लिए स्कूल में दाखिला लेते हैं, लेकिन स्कूल नहीं जाते। वे मुख्य रूप से कोचिंग सेंटरों में पढ़ाई करते हैं और स्कूल सिर्फ औपचारिकता के रूप में इस्तेमाल करते हैं। यह समस्या खासतौर पर 9वीं कक्षा से देखने को मिल रही है। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि आने वाले समय में भी सीबीएसई इसी तरह से स्कूलों के डेटा की जांच करता रहेगा और कोई भी शिकायत मिलने पर उसकी गहराई से जांच की जाएगी।

डमी स्कूलों की वजह से शिक्षा व्यवस्था पर असर

विशेषज्ञों का मानना है कि डमी एडमिशन की प्रवृत्ति से शिक्षा व्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है। छात्र केवल कोचिंग सेंटरों पर निर्भर होते हैं और नियमित स्कूल नहीं जाते। इससे स्कूलों की टीचिंग कवालिटी भी प्रभावित होती है। छात्रों का शैक्षणिक विकास केवल किताबों और कोचिंग तक सीमित रह जाता है, जबकि क्लासरूम टीचिंग उन्हें सामाजिक और मानसिक विकास का अवसर भी प्रदान करती है।

शिक्षा नीति 2020 में क्लासरूम टीचिंग पर जोर

चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी (जींद) के पूर्व वाइस चांसलर प्रो आरबी सोलंकी का कहना है कि ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में क्लासरूम टीचिंग को बहुत महत्व दिया गया है। चाहे स्कूल हो या कॉलेज, क्लासरूम टीचिंग का कोई ऑप्शन नहीं हो सकता है। अब इसमें नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं, जिससे छात्रों को और अधिक लाभ मिल सके। छात्रों को इसका फायदा तभी मिलेगा जब वे नियमित रूप से स्कूल जाएंगे। केवल कोचिंग पर निर्भरता सही नहीं है।’

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शिक्षा मंत्रालय की सख्ती का असर

शिक्षा मंत्रालय की सख्ती का असर अब स्कूलों पर भी दिखने लगा है। सीबीएसई द्वारा डमी एडमिशन को लेकर उठाए गए कदमों से कई स्कूल अब सावधान हो गए हैं। कई स्कूलों ने छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। अब स्कूल प्रशासन यह सुनिश्चित करने में जुटा है कि छात्र नियमित रूप से स्कूल आएं और शिक्षण व्यवस्था में सुधार हो।