गहने बनवाने के लिए भी लगता है एक्स्ट्रा पैसा, जाने मेकिंग चार्ज का क्या है हिसाब किताब Making Jewellery

Making Jewellery: भारत में सोने का महत्व सिर्फ एक धातु के रूप में नहीं, बल्कि एक निवेश और सांस्कृतिक परंपरा के रूप में भी देखा जाता है। भारतीय समाज में सोने के आभूषण धन, स्थिति और समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं। विशेष रूप से शादियों और त्यौहारों (जैसे दिवाली और अक्षय तृतीया) के अवसर पर लोग सोने की खरीदारी करना शुभ मानते हैं।

सोने के आभूषण खरीदते समय मेकिंग चार्ज की जानकारी क्यों जरूरी?

अक्सर लोग सोने के आभूषण खरीदते समय इसकी शुद्धता और वजन पर ध्यान देते हैं, लेकिन बहुत से खरीदार इस बात से अनजान रहते हैं कि सोने के आभूषणों की अंतिम कीमत की गणना कैसे की जाती है। मेकिंग चार्ज (Making Charge) उन मुख्य तत्वों में से एक है जो सोने के आभूषणों की कीमत को प्रभावित करता है।

ज्वैलर्स का क्या कहना है?

बिहार के रामजी प्रसाद ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड के अभिषेक कुमार सोनी बताते हैं कि कई ग्राहक यह नहीं जानते कि सोने के आभूषण की कीमत कैसे तय की जाती है। इसी तरह, प्रयागराज के तनिष्क ज्वैलर्स के अजमत बताते हैं कि आभूषण के डिजाइन, आकार, और शिल्पकला के आधार पर मेकिंग चार्ज अलग-अलग हो सकता है। तनिष्क ज्वैलर्स में सोने के आभूषणों के मेकिंग चार्ज कुल सोने के मूल्य का 8% से 25% तक होता है।

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सोने के आभूषणों की कीमत की गणना करने का फॉर्मूला

अंतिम कीमत की गणना इस फॉर्मूले के आधार पर की जाती है:
अंतिम कीमत = (सोने की कीमत x वजन) + मेकिंग चार्ज + जीएसटी + हॉलमार्किंग शुल्क

  1. सोने की कीमत: यह उसकी शुद्धता (24KT, 22KT, 18KT, 14KT, आदि) पर निर्भर करती है। अधिक शुद्धता का मतलब अधिक कीमत होता है।
  2. हॉलमार्किंग शुल्क: यह सोने की प्रमाणिकता (Authenticity) सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक होता है।
  3. जीएसटी (GST): यह कुल लागत पर लागू होता है, जिसमें मेकिंग चार्ज भी शामिल होता है।
  4. मेकिंग चार्ज: यह सोने के आभूषण को बनाने की प्रक्रिया की लागत होती है और यह कई कारकों पर निर्भर करता है।

मेकिंग चार्ज को प्रभावित करने वाले कारक

1. सोने की कवालिटी और शुद्धता

  • 22KT और 18KT के आभूषणों की कीमत अलग-अलग होती है, क्योंकि उनमें सोने की मात्रा अलग होती है।
  • उच्च कैरेट (Karat) वाले सोने की शुद्धता अधिक होती है, लेकिन उसकी कारीगरी की लागत भी अधिक होती है।

2. कारीगरी और डिजाइन

  • हाथ से बने आभूषणों में अधिक कारीगरी लगती है, जिससे इनका निर्माण शुल्क अधिक होता है।
  • मशीन से बने आभूषण तुलनात्मक रूप से सस्ते होते हैं और इनका मेकिंग चार्ज कुल कीमत का 3% से 25% तक हो सकता है।
  • हीरे या अन्य कीमती पत्थरों से जड़े आभूषणों में अधिक बारीकी और समय लगता है, इसलिए इन पर अधिक मेकिंग चार्ज लिया जाता है।

3. ट्रांसपोर्टेशन और हैंडलिंग लागत

  • आयातित सोने और डिजाइनर आभूषणों में एक्स्ट्रा सप्लाई लागत भी जुड़ जाती है।
  • कस्टम-मेड आभूषणों को विशेष देखभाल और हैंडलिंग की जरूरत होती है, जिससे कुल कीमत बढ़ जाती है।

मेकिंग चार्ज की गणना कैसे की जाती है?

मेकिंग चार्ज की गणना दो प्रमुख तरीकों से की जाती है:

1. फ्लैट रेट मेथड (Flat Rate Method)

इस पद्धति में प्रति ग्राम निश्चित शुल्क लिया जाता है। उदाहरण के लिए:

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  • यदि 10 ग्राम सोने के आभूषण पर 500 रुपये प्रति ग्राम मेकिंग चार्ज लागू है, तो कुल मेकिंग चार्ज होगा 5000 रुपये

2. परसेंटेज मेथड (Percentage Method)

इस पद्धति में कुल सोने के मूल्य का एक निश्चित प्रतिशत मेकिंग चार्ज के रूप में लिया जाता है। उदाहरण:

  • यदि 7,00,000 रुपये के आभूषण पर 10% मेकिंग चार्ज लागू होता है, तो कुल मेकिंग चार्ज होगा 70,000 रुपये

रामजी प्रसाद ज्वैलर्स के अभिषेक कुमार सोनी के अनुसार, भारतीय बाजार में अधिकतर ज्वैलर्स सोने के मूल्य का 8% से 35% तक मेकिंग चार्ज लेते हैं।

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