AC चलाने पर कितनी बिजली होती है खर्च, रिपोर्ट आपको चौंका देगी AC Electricity Consumption

AC Electricity Consumption: भारत में तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और इसके साथ ही एयर कंडीशनर (AC) की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। इंटरनेशनल एनर्जी एसोसिएशन (IEA) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2030 तक भारत में कुल बिजली खपत का एक तिहाई हिस्सा केवल एयर कंडीशनर के उपयोग में जाएगा। वर्तमान में, भारत में एयर कंडीशनर के इस्तेमाल से कुल बिजली खपत का लगभग 24% उपयोग हो रहा है, जो तेजी से बढ़ रहा है।

वर्ष 2025-2027 के बीच 6.3% की बढ़ोतरी का अनुमान

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 से 2027 के बीच भारत की बिजली खपत में औसतन 6.3% की बढ़ोतरी होगी। हालांकि, यह भी आशंका जताई गई है कि बिजली की आपूर्ति इस बढ़ती मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं होगी। स्पेसली, वर्ष 2030-32 तक पीक आवर में बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच 20,000 से 40,000 मेगावाट की कमी होने की संभावना है।

बिजली संकट को लेकर क्या कहती है IEA रिपोर्ट?

IEA की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में अभी केवल 20% घरों में ही एयर कंडीशनर हैं, लेकिन फिर भी ये वर्ष 2024 में कुल पीक आवर में 60,000 मेगावाट बिजली की खपत कर चुके हैं। वर्ष 2023 की तुलना में वर्ष 2024 में एयर कंडीशनर की बिक्री में 27% की बढ़ोतरी देखी गई है। इस तेजी से बढ़ती मांग को देखते हुए, IEA का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक एयर कंडीशनर के कारण भारत में बिजली खपत लगभग 1.40 लाख मेगावाट तक पहुंच सकती है।

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तापमान बढ़ोतरी से बिजली की मांग में इजाफा

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में तापमान में 1% की बढ़ोतरी से पीक आवर बिजली की मांग में 7,000 मेगावाट की बढ़ोतरी हो सकती है। वर्ष 2014 में भारत में पीक आवर बिजली की मांग 1.48 लाख मेगावाट थी, जबकि अब यह 2.50 लाख मेगावाट को पार कर चुकी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि गर्मी बढ़ने के साथ ही बिजली की मांग भी लगातार बढ़ रही है।

औद्योगीकरण और कृषि क्षेत्र में बिजली की खपत बढ़ी

बिजली की मांग में बढ़ोतरी केवल तापमान बढ़ोतरी के कारण नहीं हो रही है, बल्कि अन्य कई कारण भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। औद्योगीकरण में तेजी, कृषि क्षेत्र में बिजली की बढ़ती जरूरत, अधिक घरों और वाणिज्यिक केंद्रों में बिजली कनेक्शन की बढ़ोतरी जैसी कई वजहें बिजली की खपत में बढ़ोतरी कर रही हैं।

केंद्र सरकार की योजनाओं से मिली राहत

IEA की रिपोर्ट में केंद्र सरकार की पीएम-कूसुम योजना की सराहना की गई है, जिसे वर्ष 2019 में लागू किया गया था। इस योजना के तहत किसानों को सौर ऊर्जा आधारित पंप दिए गए, जिससे अब वे दिन में भी सिंचाई के लिए बिजली का उपयोग कर सकते हैं। इससे शाम के समय बिजली की अत्यधिक मांग में कमी आई है, जिससे ग्रिड पर दबाव कुछ हद तक कम हुआ है।

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वर्ष 2030 तक ऊर्जा क्षेत्र की चुनौतियां

बिजली की बढ़ती मांग के चलते भारत के ऊर्जा क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। बिजली उत्पादन को बढ़ाने के लिए अक्षय ऊर्जा सौर्स को अपनाने की आवश्यकता होगी। सरकार सौर और पवन ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दे रही है, जिससे आने वाले वर्षों में बिजली संकट को कंट्रोल किया जा सके।