Female Truck Driver Earn: भारत में आमतौर पर ट्रक चलाने का काम पुरुषों से जुड़ा हुआ माना जाता है। सड़क पर बड़े ट्रक दौड़ाते हुए ज्यादातर पुरुष ही दिखते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि महिलाएं भी ट्रक चला सकती हैं? हमारे समाज में महिलाओं के लिए कुछ क्षेत्रों को पारंपरिक रूप से अनुकूल नहीं माना जाता, लेकिन समय बदल रहा है। अब महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी जगह बना रही हैं। इसी बदलाव की मिसाल हैं योगिता रघुवंशी, जो देश की पहली महिला ट्रक ड्राइवर हैं।
कौन हैं योगिता रघुवंशी?
योगिता रघुवंशी का नाम भारत में पहली महिला ट्रक ड्राइवर के रूप में जाना जाता है। उन्होंने न केवल इस पेशे को अपनाया, बल्कि इसे पूरी निष्ठा और मेहनत से किया। उनके इस फैसले ने न केवल उनके जीवन को बदला, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी मोटिवेसन का काम किया। योगिता पेशे से एक वकील थीं, लेकिन परिस्थितियों के चलते उन्होंने ट्रक चलाने का फैसला लिया।
कैसे बनीं देश की पहली महिला ट्रक ड्राइवर?
योगिता रघुवंशी को पहली बार में ही भारी वाहन (हैवी व्हीकल) चलाने का लाइसेंस मिल गया था। इसका कारण यह था कि उनके पास पहले से ही गाड़ी चलाने का अनुभव था और उन्होंने सही तरीके से परीक्षा पास की थी। यह उनके आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत का ही नतीजा था कि उन्हें बिना किसी रुकावट के ट्रक चलाने की पर्मिशन मिल गई।
क्यों लिया ट्रक चलाने का फैसला?
योगिता रघुवंशी ने ट्रक चलाने का फैसला इसलिए किया क्योंकि उन्हें ज्यादा पैसा कमाने की जरूरत थी। उनके पति का निधन हो गया था, जिसके बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई। उन्होंने सोचा कि अगर वे ट्रक चलाएंगी, तो ज्यादा पैसे कमा सकेंगी और अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत बना सकेंगी। उनके इस फैसले ने उनकी जिंदगी को नई दिशा दी।
पहली कमाई और संघर्ष की कहानी
योगिता ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब उन्होंने ट्रक चलाना शुरू किया, तो पहले हफ्ते में उन्हें 2,000 रुपये की कमाई हुई थी। इस हिसाब से उनकी महीने की आमदनी करीब 8,000 रुपये हो गई। इससे पहले वह जिस नौकरी में थीं, वहां उन्हें सिर्फ 3,000 रुपये प्रति माह मिलते थे। यह उनके लिए एक बड़ा बदलाव था, जिससे उन्हें अपने परिवार को बेहतर जीवन देने का मौका मिला।
सड़क पर चुनौतियों का सामना
एक महिला के लिए ट्रक चलाना जितना चुनौतीपूर्ण है, उतना ही जोखिम भरा भी। योगिता को भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सड़क पर लंबे सफर के दौरान उन्हें अकेले ही ट्रक चलाना पड़ता था, रात में रुकने की जगह खोजनी पड़ती थी और कभी-कभी लोगों की अजीब नजरों का सामना भी करना पड़ता था। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने काम को पूरी ईमानदारी से किया।
परिवार और समाज का नजरिया
जब योगिता ने ट्रक चलाने का फैसला लिया, तो उनके परिवार और समाज के लोगों ने कई तरह की बातें कीं। कुछ लोगों ने उनका सपोर्ट किया, तो कुछ ने सवाल उठाए। लेकिन योगिता ने किसी की परवाह नहीं की और अपने रास्ते पर आगे बढ़ती रहीं। आज वे समाज में एक उदाहरण बन गई हैं और कई महिलाएं उनकी कहानी से प्रेरणा ले रही हैं।
महिलाओं के लिए प्रेरणा
योगिता रघुवंशी की कहानी यह साबित करती है कि कोई भी काम महिलाओं के लिए मुश्किल नहीं है। अगर हौसला और मेहनत हो, तो महिलाएं किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकती हैं। उनकी यह कहानी उन महिलाओं के लिए एक मेसेज है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
आज के समय में कई महिलाएं ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में कदम रख रही हैं। चाहे कैब ड्राइविंग हो, ट्रक ड्राइविंग हो या अन्य लॉजिस्टिक सेवाएं, महिलाएं अब इस क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना रही हैं। सरकार और प्राइवेट कंपनियां भी महिलाओं को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।
सरकार और कंपनियों की भूमिका
सरकार और कई प्राइवेट कंपनियां अब महिलाओं को ड्राइविंग के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए ट्रैनिंग और सुविधाएं दे रही हैं। कई राज्यों में महिलाओं के लिए ड्राइविंग स्कूल खोले गए हैं, जहां वे हेवी व्हीकल चलाने की ट्रेनिंग ले सकती हैं। इसके अलावा, कुछ कंपनियां विशेष रूप से महिला ड्राइवरों को नियुक्त कर रही हैं ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।