Truck Drivers: भारत में नेशनल हाईवे, एक्सप्रेसवे, फोरलेन और यहां तक कि शहरों और गांवों की सड़कों पर ट्रक ड्राइवरों की लापरवाही अक्सर हादसों का कारण बनती है। सबसे बड़ा खतरा यह है कि देश में आधे से ज्यादा ट्रक ड्राइवरों की नजर कमजोर हो चुकी है। इसका मतलब यह है कि वे नजदीक और दूर की वस्तुओं को ठीक से नहीं देख पाते हैं, जिससे सड़क हादसों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
ट्रक ड्राइवरों की आंखे कमजोर
हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि देश में 55.1% ट्रक ड्राइवरों की नजर कमजोर हो चुकी है। इस रिपोर्ट के अनुसार, 53.3% ड्राइवरों को दूर की चीजों को देखने में समस्या होती है, जबकि 46.7% ड्राइवरों को नजदीक की चीजें देखने में कठिनाई होती है। यह अध्ययन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली और फोरसाइट फाउंडेशन द्वारा किया गया था। इस रिसर्च में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के 50,000 ट्रक ड्राइवरों को शामिल किया गया था।
ड्राइवरों के कारण सड़क हादसों में बढ़ोतरी
कमजोर आंख वाले ट्रक ड्राइवर सिर्फ खुद के लिए ही नहीं, बल्कि सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकते हैं। ट्रक भारी वाहन होते हैं और इन्हें चलाने के लिए साफ़ आँख बहुत जरूरी होती है। जब किसी ड्राइवर को सामने से आती गाड़ी, मोड़, सिग्नल, पैदल यात्री या अन्य गाड़ियों को सही तरीके से देखने में दिक्कत होती है, तो सड़क पर हादसे की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
ड्राइवरों के स्वास्थ्य की स्थिति चिंताजनक
न सिर्फ नजर की कमजोरी बल्कि ट्रक ड्राइवरों की सेहत भी चिंता का विषय बन गई है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि:
- 44.3% ट्रक ड्राइवरों का बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) सामान्य से ज्यादा है।
- 57.4% ड्राइवर हाई ब्लड प्रेशर से ग्रसित हैं।
- 18.4% ड्राइवरों में ब्लड शुगर का स्तर अधिक पाया गया।
- 33.9% ड्राइवर मध्यम स्तर के तनाव से जूझ रहे हैं।
- 2.9% ड्राइवरों को अत्यधिक मानसिक तनाव की शिकायत है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य को लेकर स्पेशल ध्यान देने की जरूरत है।
नितिन गडकरी ने जताई चिंता
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में ट्रक ड्राइवरों और सड़क सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने बताया कि देश में ट्रक ड्राइवरों की कमी बढ़ती जा रही है। हर 100 ट्रकों के लिए सिर्फ 75 ड्राइवर उपलब्ध हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ड्राइवरों के प्रशिक्षण और उनके कल्याण के लिए डिजिटलीकरण और मोबाइल ऐप्स के माध्यम से सुधार लाने का प्रयास कर रही है।
ट्रक ड्राइवरों की हार्ड लाइफ
ट्रक ड्राइवरों की जिंदगी बेहद कठिन होती है। वे कई दिनों तक लगातार ट्रक चलाते हैं, जिससे उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती और यह भी सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण बनता है। इसके अलावा, वे अक्सर अस्वास्थ्यकर खानपान, अनियमित दिनचर्या, मानसिक तनाव और लंबे समय तक परिवार से दूर रहने जैसी समस्याओं से जूझते हैं।
सड़क सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
देशभर में ट्रक ड्राइवरों की स्वास्थ्य समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कुछ अहम कदम उठाने की जरूरत है:
- नियमित स्वास्थ्य जांच: ट्रक ड्राइवरों की नियमित आंखों और स्वास्थ्य जांच अनिवार्य होनी चाहिए।
- आँखों की जाँच अनिवार्य किया जाए: ट्रक लाइसेंस जारी करने या नवीनीकरण के दौरान आई टेस्ट को अनिवार्य किया जाए।
- बेहतर विश्राम और खानपान की सुविधा: लंबी दूरी तय करने वाले ड्राइवरों के लिए विशेष रेस्ट पॉइंट और स्वस्थ खानपान की व्यवस्था होनी चाहिए।
- ड्राइवर ट्रेनिंग प्रोग्राम: नए और मौजूदा ड्राइवरों को आधुनिक ट्रैफिक नियमों, सुरक्षा उपायों और स्वास्थ्य प्रबंधन के बारे में जागरूक किया जाए।
- सड़क परिवहन सुधार: ट्रकों के लिए अलग से लेन बनाई जाए ताकि दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
- सामाजिक सुरक्षा योजनाएं: सरकार को ट्रक ड्राइवरों के लिए स्वास्थ्य बीमा और वित्तीय सुरक्षा की योजनाएं लागू करनी चाहिए।