Employees Salary Hike: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने उन पूर्व कर्मचारियों को पेंशन और मानदेय देने का निर्णय लिया है, जिनके विभागों का विलय (Merger) किया गया था। यह फैसला उन कर्मचारियों के आर्थिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए लिया गया है, जो अब तक इस विषय पर कोई साफ पॉलिसी न होने के कारण डाउट में थे।
किन कर्मचारियों को मिलेगा लाभ?
इस फैसले का लाभ उन कर्मचारियों को मिलेगा, जो एचएसएमआईटीसी (HSMITC), कॉन्फेड (Confed), हरियाणा मिनरल्स लिमिटेड (Haryana Minerals Limited) और अन्य ऐसे विभागों में काम कर चुके हैं, जो अब अन्य सरकारी संस्थाओं में विलय हो चुके हैं। इन कर्मचारियों की सालों की मेहनत और सेवा को देखते हुए सरकार ने यह मानदेय देने का फैसला लिया है, जिससे वे अपने जीवन-यापन को बेहतर बना सकें।
6000 रुपये से 20,000 रुपये तक मिलेगा मासिक मानदेय
सरकार द्वारा तय की गई योजना के अनुसार, इन पूर्व कर्मचारियों को उनकी सेवा अवधि और योगदान के आधार पर 6,000 रुपये से 20,000 रुपये तक का मासिक मानदेय दिया जाएगा। इस फैसले से हजारों कर्मचारियों को राहत मिलेगी, जो अपनी नौकरी खोने के बाद वित्तीय संकट का सामना कर रहे थे। यह राशि उनकी आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करेगी और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाएगी।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस फैसले को लेकर कहा कि “हमारी सरकार हरियाणा के कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए एकजुट है। जो लोग सालों तक राज्य के लिए सेवा करते रहे हैं, उन्हें उनके अधिकार मिलना चाहिए। इसलिए हमने इन पूर्व कर्मचारियों के लिए पेंशन और मानदेय देने का फैसला लिया है। यह फैसला उनके उज्जवल भविष्य को सुनिश्चित करेगा।”
पूर्व कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत
यह फैसला उन हजारों कर्मचारियों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया है, जो पिछले कुछ सालों से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे। सरकार के इस फैसले से यह साफ हो गया है कि कर्मचारी हितों को सुरक्षित रखना उसकी प्राथमिकता में शामिल है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि सरकार कर्मचारियों की समस्याओं को गंभीरता से ले रही है और उन्हें हल करने के लिए ठोस कदम उठा रही है।
अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल
हरियाणा सरकार का यह कदम अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है। कई राज्यों में भी इसी तरह के मुद्दे हैं, जहां सरकारी विभागों का विलय किया गया है, लेकिन उन कर्मचारियों के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई। हरियाणा सरकार के इस फैसले से उम्मीद की जा रही है कि अन्य राज्य सरकारें भी इस दिशा में कदम उठाएंगी और अपने पूर्व कर्मचारियों को राहत देंगी।
इस योजना से कितने कर्मचारियों को मिलेगा लाभ?
सरकार के अनुमान के मुताबिक, इस योजना के तहत हजारों पूर्व कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। हालांकि, अभी तक इस योजना के तहत सही संख्या का आंकलन किया जा रहा है। सरकार ने यह भी क्लियर किया है कि यदि कोई पात्र कर्मचारी इस योजना से छूट जाता है, तो उसके लिए बाद में एक पुनरीक्षण प्रक्रिया भी लागू की जाएगी।
कर्मचारियों और उनके परिवारों के रिएक्शन
इस घोषणा के बाद पूर्व कर्मचारियों और उनके परिवारों में खुशी का माहौल है। कई कर्मचारियों ने सरकार का आभार जताते हुए कहा कि “यह फैसला हमारे लिए बहुत जरूरी था। वर्षों की मेहनत के बाद जब हमें कुछ नहीं मिला, तो हमें लगा कि हमें भुला दिया गया है। लेकिन अब सरकार ने हमारी समस्याओं को सुना और हल किया।”