इस नस्ल की गाय की करोड़ों में है कीमत, खूबियां जानकर तो हर कोई हैरान Most Expensive Cow

Most Expensive Cow: ब्राजील की प्रसिद्ध नेलोरे नस्ल की गाय ‘वियाटिना-19’ हाल ही में सुर्खियों में छा गई है। इस गाय को नीलामी में 4.8 मिलियन डॉलर (लगभग 35 करोड़ रुपये) में बेचा गया है। यह कीमत इतनी ज्यादा है कि इस रकम से दर्जनभर से ज्यादा वर्ल्ड क्लास लग्जरी कारें खरीदी जा सकती हैं। इस नीलामी के साथ ही ‘वियाटिना-19’ दुनिया की सबसे महंगी गाय बन गई है, जिसने पशुपालन उद्योग में नया इतिहास रच दिया है।

कैसी है ‘वियाटिना-19’?

‘वियाटिना-19’ अपनी विशेष आनुवंशिक खूबियों, मजबूत शरीर संरचना और शानदार प्रजनन कपैसिटी के कारण प्रसिद्ध है। इसका वजन 1,101 किलोग्राम है, जो इसे सामान्य गायों की तुलना में ज्यादा भारी और ताकतवर बनाता है। यह न केवल शारीरिक रूप से मजबूत है, बल्कि इसकी आनुवंशिक संरचना भी बहुत खास है, जिससे इसकी नस्ल की मांग पशुपालन और दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में काफी ज्यादा है।

नेलोरे नस्ल

नेलोरे गाय मूल रूप से भारत की नस्ल है। इसे पहले ‘ओंगोले’ नस्ल के रूप में जाना जाता था और यह भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के प्रकाशम जिले से संबंधित है। 1800 के दशक में इस नस्ल को ब्राजील ले जाया गया, जहां इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। यह नस्ल अपनी गर्मी सहनशीलता, रोग प्रतिरोधक क्षमता और तेजी से बढ़ने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध है।

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आज ब्राजील के पशुपालन और मांस उद्योग में नेलोरे गायों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह नस्ल वहां के मांस उद्योग की रीढ़ मानी जाती है और वैश्विक बाजार में इसकी कीमत लगातार बढ़ रही है। खासकर, ‘वियाटिना-19’ जैसी गायों के कारण इस नस्ल को और भी ज्यादा महत्व मिल रहा है।

‘वियाटिना-19’ ने रचा नया कीर्तिमान

‘वियाटिना-19’ सिर्फ अपनी ऊंची कीमत के लिए नहीं, बल्कि अपनी संपूर्णता और आनुवंशिक श्रेष्ठता के लिए भी जानी जाती है। यह न केवल अब तक बिकी सबसे महंगी गाय है, बल्कि इसने कई रिकॉर्ड भी अपने नाम किए हैं। इसे नीलामी के बाद गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दुनिया की सबसे महंगी गाय का खिताब मिला है।

इसके अलावा, ‘वियाटिना-19’ को “मिस साउथ अमेरिका” का खिताब भी मिल चुका है, जो इसकी श्रेष्ठ नस्ल और शारीरिक संरचना को दर्शाता है। यह गाय आने वाले समय में पशुपालन की दुनिया में नया रिकार्ड स्थापित कर सकती है।

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ओंगोले नस्ल

ब्राजील में नेलोरे नस्ल के रूप में पहचानी जाने वाली गाय दरअसल भारत की ओंगोले गाय है। यह नस्ल भारत में सदियों से पाली जाती रही है और अपनी मजबूत काया, ऊर्जावान शरीर और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है।

आज भी भारत में ओंगोले गायों की काफी मांग है। खासकर, जिन देशों में गर्म जलवायु होती है, वहां यह नस्ल ज्यादा उपयुक्त मानी जाती है। यह नस्ल न केवल मांस और दूध उत्पादन के लिए अच्छी मानी जाती है, बल्कि इसका प्रयोग खेतों में खेती के कामों के लिए भी किया जाता है।

ब्राजील में कैटल ब्रीडिंग का बढ़ता महत्व

ब्राजील कैटल ब्रीडिंग के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल है। वहां के किसान आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर उच्च गुणवत्ता वाली गायों का पालन कर रहे हैं। ‘वियाटिना-19’ की रिकॉर्ड तोड़ नीलामी इस बात का संकेत है कि ब्राजील पशुपालन उद्योग में नई ऊंचाइयों को छू रहा है।

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ब्राजील की सरकार और पशुपालन से जुड़े उद्योग अब जीनोमिक रिसर्च और उन्नत ब्रीडिंग तकनीकों पर ध्यान दे रहे हैं, ताकि नेलोरे नस्ल की गुणवत्ता और भी बेहतर बनाई जा सके।

भारत के पशुपालकों को इससे क्या सीखने की जरूरत है?

भारत में भी पशुपालन एक बड़ा व्यवसाय है, लेकिन ब्राजील जैसे देशों की तुलना में यहां आधुनिक तकनीकों का कम उपयोग किया जाता है। यदि भारतीय किसान और पशुपालक उन्नत ब्रीडिंग तकनीकों, आनुवंशिक सुधार और सही पोषण पर ध्यान दें, तो वे भी अपने मवेशियों की कवालिटी में सुधार कर सकते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत भी ब्रीडिंग तकनीकों और वैज्ञानिक अनुसंधान पर ध्यान दे, तो यहां की देसी नस्लें भी वर्ल्ड लेवल पर अपनी पहचान बना सकती हैं।

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