Haryana News: हरियाणा में नए जिले, उपमंडल, तहसील और उप-तहसील के गठन का इंतजार कर रहे प्रदेशवासियों को फिलहाल निराशा हाथ लगी है। गृह मंत्रालय की ओर से नए जिलों और उपमंडलों के गठन पर रोक लगा दी गई है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि 2021 की जनगणना के पूरा होने के बाद ही इस पर कोई फैसला लिया जाएगा।
विधानसभा में हुआ खुलासा
हरियाणा में 2011 की जनगणना के अनुसार कुल आबादी करीब 2 करोड़ 53 लाख थी। वर्तमान में अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रदेश की जनसंख्या लगभग 3 करोड़ के आसपास पहुंच चुकी है।
विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस के विधायकों गीता भुक्कल और रघुबीर सिंह तेवतिया ने मातनहेल और पृथला को उपमंडल (सब-डिवीजन) बनाने की मांग उठाई थी। इस पर राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल ने जवाब दिया कि जब तक नई जनगणना पूरी नहीं हो जाती, तब तक नए जिलों और उपमंडलों के गठन पर कोई फैसला नहीं लिया जाएगा।
सरकार ने बनाई स्पेशल कमेटी
हरियाणा सरकार ने प्रदेश में नए जिलों, उपमंडलों, तहसीलों और उप-तहसीलों के गठन की संभावनाओं पर विचार करने के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी की अध्यक्षता विकास एवं पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पंवार कर रहे हैं। इसमें राजस्व एवं निकाय मंत्री विपुल गोयल और संसदीय कार्य मंत्री महिपाल सिंह ढांडा को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।
अब तक इस कमेटी की तीन बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें जिलों से आई डिमांड की जांच की जा रही है। संबंधित प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने क्षेत्र की मांगों को अध्ययन कर सरकार को रिपोर्ट सौंपें।
कौन-कौन से जिले और उपमंडल बनने की है संभावना?
हरियाणा में लंबे समय से नए जिलों और उपमंडलों की मांग की जा रही है। प्रदेश के कई क्षेत्रों के लोग अपने जिले और उपमंडल की मांग को लेकर सरकार से अपील कर चुके हैं। कुछ संभावित नए जिले और उपमंडल इस प्रकार हैं:
- नए जिले:
- मानेसर (गुरुग्राम से अलग करने की मांग)
- फतेहाबाद से टोहाना
- जींद से नरवाना
- चरखी दादरी से बाढड़ा
- संभावित उपमंडल:
- मातनहेल (झज्जर जिले से)
- पृथला (फरीदाबाद जिले से)
- नांगल चौधरी (महेंद्रगढ़ जिले से)
- रादौर (यमुनानगर जिले से)
प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार के लिए जरूरी हैं नए जिले और उपमंडल
हरियाणा के कई जिले बड़े क्षेत्रफल में फैले हुए हैं, जिससे प्रशासनिक कार्यों में देरी होती है। छोटे जिलों और नए उपमंडलों के बनने से सरकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों तक तेजी से पहुंचाया जा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नए जिले बनने से प्रशासनिक बोझ कम होगा और विकास योजनाओं को सुचारू रूप से लागू करने में सहायता मिलेगी। ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और उनकी समस्याओं का समाधान नजदीक के प्रशासनिक केंद्र से ही किया जा सकेगा।
राजनीतिक दबाव और जनता की मांग
हरियाणा में नए जिलों और उपमंडलों की मांग को लेकर स्थानीय जनता और विभिन्न राजनीतिक दल लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं। कई क्षेत्रों में लंबे समय से नए जिलों की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार ने अभी तक इस पर कोई ठोस फैसला नहीं लिया है।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि नए जिलों का गठन राजनीतिक कारणों से भी प्रभावित होता है। कई बार सरकारें अपने चुनावी लाभ के लिए नए जिलों की घोषणा करती हैं, जबकि प्रशासनिक आवश्यकताओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है।