New Toll Tax: उत्तर प्रदेश के प्रमुख एक्सप्रेसवे पर सफर करना नए वित्त वर्ष 2025-26 से महंगा हो सकता है। राज्य सरकार के अधीन कार्यरत उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) ने टोल शुल्क बढ़ाने की योजना बनाई है। इसमें आगरा-लखनऊ, पूर्वांचल, बुंदेलखंड और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे शामिल हैं। संभावना है कि टोल शुल्क में कम से कम 5% की बढ़ोतरी की जा सकती है।
नई टोल दरों का निर्धारण
टोल दरों की गणना के लिए यूपीडा एक सलाहकार कंपनी का चयन करेगा, जो नई दरों की जांच करेगी। वर्तमान में विभिन्न एक्सप्रेसवे पर टोल दरों में असमानता है, और इसी को ध्यान में रखते हुए दरों में बैलन्स बनाने की कोशिश की जाएगी।
हल्के वाहनों को दी गई राहत
पिछले वित्तीय वर्ष में लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए टोल शुल्क में मामूली बढ़ोतरी की गई थी। उस समय, भारी वाहनों पर ज्यादा भार डाला गया था, जबकि हल्के वाहनों जैसे कार, दोपहिया और तीन पहिया वाहनों को राहत दी गई थी। इस बार भी टैक्स बढ़ोतरी का मुख्य असर भारी वाहनों पर पड़ सकता है।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पर भी टोल लागू होगा
यूपीडा अब गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पर भी टोल शुल्क लागू करने की तैयारी कर रहा है। इस एक्सप्रेसवे को अप्रैल 2025 में वाहनों के लिए खोला जाएगा, जबकि मार्च में इसका उद्घाटन संभावित है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे की टोल दरें अन्य एक्सप्रेसवे की तुलना में कम रखने पर भी विचार किया जा रहा है।
सबसे महंगा एक्सप्रेसवे बना बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे
अगर टोल शुल्क की तुलना की जाए, तो बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे सबसे महंगा एक्सप्रेसवे है। यहां एक तरफ का प्रति किलोमीटर औसत शुल्क 9.24 रुपये है। इसके बाद गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे आता है, जहां यह दर 8.63 रुपये प्रति किलोमीटर है। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की तुलना में इन दोनों पर यात्रा करना अधिक महंगा साबित हो सकता है।
थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर तय होता है टोल
हर साल एक अप्रैल से टोल शुल्क में बढ़ोतरी की जाती है, जो थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित होती है। इसी आधार पर यूपीडा सलाहकार कंपनियों की मदद से टोल शुल्क में बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार करता है। नई दरों की गणना एकतरफा यात्रा, रिटर्न टिकट और मासिक पास को ध्यान में रखकर की जाएगी।
टोल शुल्क बढ़ोतरी का असर आम जनता पर
टोल शुल्क में बढ़ोतरी का सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा। स्पेसली वे लोग जो रोजाना एक्सप्रेसवे से सफर करते हैं, उनके यात्रा खर्च में बढ़ोतरी होगी। लंबी दूरी की यात्राओं और व्यावसायिक गाड़ियों के लिए टोल शुल्क में यह बढ़ोतरी ज्यादा असर डाल सकती है।
परिवहन और लॉजिस्टिक्स सेक्टर पर असर
टोल शुल्क बढ़ने से परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर भी असर पड़ेगा। माल ढुलाई पर होने वाला एक्स्ट्रा खर्च उपभोक्ताओं तक पहुंच सकता है, जिससे विभिन्न वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। इससे व्यावसायिक वाहन मालिकों को भी अपनी दरें बढ़ानी पड़ सकती हैं।
राज्य सरकार की राजस्व नीति
उत्तर प्रदेश सरकार एक्सप्रेसवे से टोल के माध्यम से राजस्व बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। टोल से मिलने वाली आय का उपयोग नए सड़क निर्माण, रखरखाव और अन्य आधारभूत संरचना विकास कार्यों के लिए किया जाता है।
क्या यात्रियों को कोई रियायत मिलेगी?
सरकार यह भी विचार कर रही है कि नियमित यात्रियों, सरकारी कर्मचारियों, आपातकालीन सेवाओं और कुछ विशेष श्रेणियों को रियायत दी जाए। इसके तहत, मासिक पास और छूट वाले टोल कार्ड की सुविधा बढ़ाई जा सकती है।
टोल दरों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की योजना
यूपीडा यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है कि टोल दरों में कोई अनियमितता न हो और हर वाहन केटेगरी के लिए उपयुक्त शुल्क निर्धारित किया जाए। साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली (FASTag) को और असरदार बनाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है।