Saturday Holiday Cancel: मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को उस समय बड़ा झटका लगा जब सहकारिता विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की शनिवार की छुट्टी रद्द करने का आदेश जारी किया गया. यह फैसला सहकारिता विभाग में कार्यभार की अधिकता और कर्मचारियों की संख्या में कमी को देखते हुए लिया गया है. भोपाल संभाग के संयुक्त आयुक्त द्वारा जारी इस आदेश से कर्मचारियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है.
छुट्टी के दिन भी करना होगा काम
शनिवार, जो आमतौर पर सरकारी दफ्तरों में अवकाश का दिन होता है, अब सहकारिता विभाग के कर्मचारियों के लिए काम का दिन बन गया है. आदेश के मुताबिक विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी के चलते यह निर्णय लिया गया. इससे कर्मचारियों का वीकेंड प्रभावित हो रहा है, जो उनकी निजी और पारिवारिक जिंदगी पर असर डाल रहा है.
सहकारिता विभाग में कर्मचारियों की कमी
भोपाल सहकारिता विभाग के कार्यालयों में कर्मचारियों की स्थिति बेहद चिंताजनक है.
- संयुक्त आयुक्त कार्यालय: 16 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 4 कर्मचारी कार्यरत.
- उपायुक्त कार्यालय: 38 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 16 कर्मचारी कार्यरत.
- सहायक आयुक्त कार्यालय: 52 स्वीकृत पदों के मुकाबले मात्र 22 कर्मचारी कार्यरत.
कुल मिलाकर, भोपाल जिले में 108 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 42 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं.
क्यों लिया गया यह निर्णय?
सहकारिता विभाग में बढ़ते कामकाज को संभालने के लिए कर्मचारियों की संख्या बेहद कम है. इसका सीधा असर विभाग की कार्यक्षमता पर पड़ रहा है.
- बढ़ता कार्यभार: सरकारी योजनाओं के संचालन और सहकारी समितियों के प्रबंधन के कारण विभाग पर काम का दबाव बढ़ गया है.
- कर्मचारी भर्ती में देरी: समय पर नई नियुक्तियां नहीं होने से पद खाली पड़े हैं.
- कार्य की प्राथमिकता: सहकारिता विभाग की कई योजनाएं समयबद्ध हैं. जिन्हें पूरा करना जरूरी है.
कर्मचारियों की नाराजगी
शनिवार की छुट्टी रद्द होने से सहकारिता विभाग के कर्मचारियों में असंतोष बढ़ रहा है.
- संतुलन की कमी: कर्मचारियों का कहना है कि यह निर्णय उनके काम और निजी जीवन के संतुलन को बिगाड़ देगा.
- अतिरिक्त मेहनत का दबाव: कम कर्मचारियों के कारण काम का बोझ पहले ही बढ़ा हुआ है और अब वीकेंड पर काम करने से यह और बढ़ेगा.
- समस्या का स्थायी समाधान नहीं: कर्मचारियों का मानना है कि यह निर्णय केवल तात्कालिक समाधान है, जबकि समस्या को स्थायी रूप से हल करने की जरूरत है.
सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए?
सरकार को सहकारिता विभाग में कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
- नए पदों की भर्ती: खाली पदों को जल्द से जल्द भरा जाए.
- काम का डिजिटल प्रबंधन: तकनीक का उपयोग कर काम को व्यवस्थित और तेज किया जाए.
- अस्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति: जब तक स्थायी भर्ती न हो. तब तक अस्थायी कर्मचारियों को नियुक्त किया जा सकता है.
- कर्मचारियों के लिए प्रोत्साहन: अतिरिक्त काम के लिए कर्मचारियों को प्रोत्साहन राशि या सुविधाएं दी जाएं.
कर्मचारियों के वीकेंड पर काम का असर
छुट्टी के दिन भी काम करने के फैसले का सीधा असर कर्मचारियों की मानसिक और शारीरिक सेहत पर पड़ेगा.
- मानसिक थकान: नियमित काम के बाद वीकेंड पर आराम न मिलने से तनाव बढ़ सकता है.
- काम की गुणवत्ता पर असर: अत्यधिक काम का दबाव कर्मचारियों की कार्यक्षमता और काम की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है.
- पारिवारिक समय में कमी: वीकेंड पर काम करने से कर्मचारियों को अपने परिवार के साथ समय बिताने का मौका नहीं मिलेगा.
सहकारिता विभाग का महत्व
सहकारिता विभाग का काम ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों और योजनाओं का संचालन करना है. यह विभाग किसानों, छोटे व्यापारियों, और ग्रामीण समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए काम करता है. विभाग की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या होना जरूरी है.