Sone Ka Bhav: बीते कुछ वर्षों में जैसे-जैसे सोने की कीमतों में तेजी आई है चांदी की कीमतों को भी इसका सीधा फायदा मिला है। सोना हमेशा से निवेशकों की पहली पसंद रहा है, लेकिन अब चांदी ने भी निवेशकों का ध्यान खींचा है। इसे अक्सर “गरीब आदमी का सोना” कहा जाता है, लेकिन अब इसकी मांग और कीमतें दोनों लगातार बढ़ रही हैं।
कमोडिटी रिसर्च विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह तेजी जारी रही, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमतें 40 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती हैं। वहीं भारत के एमसीएक्स पर यह 1,25,000 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर को छू सकती है।
सोने की तुलना में चांदी ने दिया ज्यादा रिटर्न
पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो चांदी ने सोने से बेहतर प्रदर्शन किया है। जहां इस अवधि में सोना 106% तक बढ़ा है, वहीं चांदी ने लगभग 178% का रिटर्न दिया है। यह एक बड़ी बात है क्योंकि इससे साबित होता है कि चांदी अब केवल गहनों या छोटे निवेश तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह एक मजबूत निवेश विकल्प बन चुकी है। 2024 के शुरुआती तीन महीनों में चांदी ने 15% का रिटर्न दिया, जो किसी भी पारंपरिक निवेश साधन से ज्यादा है।
निवेशकों की नजर अब चांदी पर
दुनिया भर में आर्थिक अनिश्चितताओं और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद के बीच चांदी की मांग लगातार बढ़ रही है। सोने की ही तरह चांदी भी एक सुरक्षित निवेश मानी जाती है। लेकिन इसमें एक बड़ा फायदा यह है कि यह उद्योगों में भी बड़ी मात्रा में इस्तेमाल होती है।
इलेक्ट्रिक वाहन (EV) सेक्टर, सोलर एनर्जी, मेडिकल उपकरण और अन्य आधुनिक तकनीकी उद्योगों में चांदी की खपत तेजी से बढ़ी है। इसका सीधा असर इसकी कीमतों पर पड़ता है और आने वाले समय में भी यही ट्रेंड देखने को मिल सकता है।
क्यों है चांदी की मांग में इतना इजाफा?
चांदी की कीमतों में आई तेजी के पीछे कई वजहें हैं। कोरोना महामारी के बाद निवेशक सुरक्षित विकल्पों की तलाश में हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध, व्यापार युद्ध, और वैश्विक मंदी की चिंता के बीच निवेशक चांदी जैसे स्थिर और सुरक्षित विकल्प की ओर आकर्षित हुए हैं।
इसके साथ ही, ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ता रुझान, जैसे सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ, चांदी की औद्योगिक मांग को बढ़ा रहे हैं। यह मांग आने वाले वर्षों में और भी ज्यादा बढ़ सकती है, जिससे चांदी की कीमतों को और बल मिलेगा।
चांदी की कीमतों में ज्यादा उतार-चढ़ाव
जहां एक ओर चांदी का प्रदर्शन शानदार रहा है, वहीं यह भी ध्यान देना जरूरी है कि चांदी की कीमतें सोने की तुलना में कहीं ज्यादा अस्थिर रहती हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है इसका औद्योगिक उपयोग। जैसे ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में कोई हलचल होती है, चांदी की मांग और कीमत पर उसका सीधा असर पड़ता है।
दूसरी ओर, सोने की कीमतें अधिकतर केंद्रीय बैंकों की खरीद और भू-राजनीतिक तनावों पर निर्भर करती हैं, जो इसे ज्यादा स्थिर बनाती हैं। इसलिए चांदी में निवेश करने से पहले इसके उतार-चढ़ाव को समझना बेहद जरूरी है।
चांदी में कैसे करें निवेश?
जो निवेशक चांदी में दिलचस्पी रखते हैं, उनके लिए आज के समय में कई विकल्प मौजूद हैं। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) के जरिए चांदी में फ्यूचर ट्रेडिंग की जा सकती है। इसके अलावा सिल्वर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) और म्यूचुअल फंड के माध्यम से भी निवेश संभव है।
हालांकि, विशेषज्ञों की सलाह है कि इसमें निवेश करने से पहले निवेशक को इसके उतार-चढ़ाव को समझना चाहिए और जोखिम सहने की क्षमता होनी चाहिए। चांदी में शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग से ज्यादा, लॉन्ग टर्म निवेश फायदेमंद हो सकता है।
चांदी की कीमतें अभी भी ऑल टाइम हाई से दूर
हालांकि चांदी में काफी तेजी आई है, लेकिन यह अब भी अपने ऑल टाइम हाई से काफी दूर है। 2011 में चांदी ने 50 डॉलर प्रति औंस का स्तर छुआ था, जबकि अभी यह करीब 34 डॉलर प्रति औंस पर है। इसका मतलब है कि इसमें अभी और तेजी की संभावना बची हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक वैश्विक बाजार में अनिश्चितता बनी रहेगी, चांदी की मांग भी बनी रहेगी। अगर आर्थिक संकेतक सकारात्मक रहते हैं, तो यह कीमतें और ऊपर जा सकती हैं।
निवेश से पहले रखें ये बातें ध्यान में
- लंबी अवधि का नजरिया रखें – चांदी में शॉर्ट टर्म मुनाफा कमाना मुश्किल हो सकता है। इसलिए इसमें निवेश करते वक्त 2 से 5 साल की योजना बनाएं।
- स्मार्ट तरीके से करें निवेश – केवल सोने की कीमत देखकर चांदी में पैसे न लगाएं। बाजार की स्थिति, औद्योगिक मांग और वैश्विक घटनाओं पर नजर रखें।
- जोखिम को समझें – चांदी में उतार-चढ़ाव ज्यादा होता है, इसलिए इसमें वही लोग निवेश करें जिनमें जोखिम सहने की क्षमता हो।