Bussiness Idea: भारतीय किसान अब पारंपरिक खेती के तौर-तरीकों से आगे बढ़कर वैज्ञानिक और आधुनिक तकनीकों को अपना रहे हैं, जिससे उनकी आमदनी में न केवल सुधार हो रहा है बल्कि कृषि क्षेत्र में नवाचार भी देखने को मिल रहा है. सुलतानपुर के आशीष झा इस बदलाव की एक जीवंत मिसाल हैं, जिन्होंने शिमला मिर्च की खेती को नई तकनीकी दिशा प्रदान की है.
आधुनिक तकनीकों से खेती में क्रांति
आशीष झा ने पारंपरिक खेती को अलविदा कहते हुए शिमला मिर्च की खेती के लिए आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों का सहारा लिया. उन्होंने पॉलीहाउस तकनीक का उपयोग करके न केवल फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ाया है बल्कि मौसमी प्रभावों से भी अपनी फसल का बचाव किया है.
सरकारी सहायता और तकनीकी सहयोग
जिला उद्यान अधिकारी, रणविजय सिंह के मार्गदर्शन में आशीष को खेती के लिए आवश्यक अनुदान और तकनीकी सहायता प्राप्त हुई, जिससे उनकी लागत में कमी और मुनाफे में वृद्धि हुई. इस प्रकार की सहायता से किसानों को नई तकनीकों को अपनाने में मदद मिलती है और वे आर्थिक रूप से सशक्त होते हैं.
पॉलीहाउस खेती
डोभियारा गांव में स्थापित पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की खेती वर्षभर चलती है, जिससे उत्पादन में निरंतरता बनी रहती है. इस पॉलीहाउस में विभिन्न वर्णों की शिमला मिर्च की खेती की जाती है, जिसकी बाजार में उच्च मांग रहती है.
आय और बाजार में मांग
आशीष झा ने अपनी इस खेती से 2.5 लाख रुपये से अधिक की कमाई की है और उनकी फसल की मांग सुलतानपुर, लखनऊ, वाराणसी, और अयोध्या की मंडियों में बढ़ रही है. इस तरह की खेती न केवल उनके लिए लाभदायक सिद्ध हुई है बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन रही है.
पारंपरिक खेती से इतर वैज्ञानिक खेती की दिशा में पहल
आशीष झा की सफलता दर्शाती है कि आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाकर खेती को किस प्रकार से अधिक उत्पादक और लाभकारी बनाया जा सकता है. उनका यह प्रयास अन्य किसानों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि किस प्रकार से पारंपरिक खेती की बजाय वैज्ञानिक और तकनीकी खेती की ओर अग्रसर होकर बेहतर आमदनी और उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.