शादी के बाद दूल्हे की होती है विदाई, पूरी बात जानकर तो होगी हैरानी Wedding Rituals

Wedding Rituals: दुनिया के अधिकतर समाजों में शादी के बाद दुल्हन के दूल्हे के घर जाने की परंपरा आम है। लेकिन हाल ही में एक नई डीएनए स्टडी ने इस सामान्य धारणा को चुनौती दी है। यह स्टडी बताती है कि लौह युग के समय ब्रिटेन में शादी के बाद दूल्हा, दुल्हन के घर रहने चला जाता था। यह खोज न केवल ऐतिहासिक समाजों को समझने का नया तरीका प्रस्तुत करती है, बल्कि महिलाओं की भूमिका और उनके प्रभाव को भी उजागर करती है।

डॉ. लारा कैसिडी की शोध

यह अध्ययन ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन की डॉ. लारा कैसिडी की देखरेख में किया गया। द गार्जियन से बातचीत में उन्होंने बताया कि इस रिसर्च के नतीजे समाज के पारंपरिक पितृसत्तात्मक ढांचे को सवालों के घेरे में लाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह अध्ययन महिलाओं की ऐतिहासिक भूमिका और उनके सामाजिक प्रभाव को समझने में नया नजरिया प्रदान करता है।

क्या है पितृस्थानीय और मातृस्थानीय समाज?

पितृस्थानीय समाज में शादी के बाद दुल्हन अपने पति के परिवार के साथ रहने लगती है। यह परंपरा आज भी अधिकांश समाजों में प्रचलित है। लेकिन इस अध्ययन से पता चला कि लौह युग के समाजों में मातृस्थानीयता अधिक प्रचलित थी। इसका मतलब यह है कि शादी के बाद दूल्हा, दुल्हन के परिवार के साथ रहता था।

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डोरसेट की कब्रगाह

वैज्ञानिकों ने दक्षिण-पश्चिम इंग्लैंड के डोरसेट क्षेत्र में एक प्राचीन कब्रगाह से मिले 57 से अधिक लोगों के जीनोम का अध्ययन किया। इनमें से अधिकांश लोग डूरोट्राइजेस जाति के थे। यह कब्रगाह विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इसमें महिलाओं के साथ कीमती वस्तुएं भी दफन की गई थीं। कब्रगाह में महिलाओं के साथ सोने-चांदी के गहने, बर्तन और अन्य कीमती वस्तुएं मिलीं। यह दर्शाता है कि उस समय महिलाओं का समाज में विशेष स्थान था।

डीएनए से जुड़े मुख्य फैक्ट्स

  1. मातृवंशीय संबंधों की जानकारी: कब्रिस्तान में दफन दो-तिहाई लोग एक ही मातृवंश से संबंधित थे।
  2. पुरुषों का ट्रांसफर: डीएनए से यह पता चला कि पुरुष अपने परिवार से बाहर जाकर दुल्हन के परिवार में रहने लगते थे।
  3. महिला रिश्तेदारी का महत्व: महिलाओं के बीच गहरे संबंधों का प्रमाण मिला, जो समाज की संरचना में उनके प्रभाव को दर्शाता है।

लौह युग में महिलाओं की भूमिका

इस अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि लौह युग में महिलाएं समाज में एक मजबूत भूमिका निभाती थीं। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि वे राजनीतिक सत्ताधारी थीं। शोधकर्ताओं के अनुसार, महिलाओं का जमीन-जायदाद और संपत्ति पर कुछ कण्ट्रोल था, जो उन्हें समाज में शक्ति प्रदान करता था।

यूरोपीय समाज के इतिहास में पहली बार मिला प्रमाण

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पहली बार है जब यूरोपीय इतिहास में इस प्रकार की शादी की परंपरा का प्रमाण मिला है। यह अध्ययन सामाजिक संरचनाओं और विवाह की परंपराओं के बारे में हमारी समझ को और बड़ा करता है।

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पुरुषों की भूमिका

लौह युग के पुरुषों को अपने परिवार से बाहर जाकर दुल्हन के परिवार में रहना पड़ता था। यह परंपरा आधुनिक समाजों की परंपराओं की उलटी थी और उस समय के समाज के नियमों और मान्यताओं को दर्शाती है।

रिसर्च का ऐतिहासिक महत्व

यह रिसर्च न केवल लौह युग की सामाजिक संरचनाओं को समझने में मदद करता है, बल्कि यह वर्तमान समाजों की पारंपरिक परंपराओं पर सवाल उठाने का अवसर भी देता है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि इतिहास में महिलाओं की भूमिका को किस हद तक अनदेखा किया गया।

क्या आज भी हैं ऐसे समाज?

डॉ. लारा कैसिडी का कहना है कि आज भी दुनिया में कुछ ऐसे समाज हैं जहां मातृस्थानीयता प्रचलित है। इन समाजों में महिलाओं का खासा प्रभाव है और वे जमीन-जायदाद पर हक रखती हैं।

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