New Expressways: उत्तर प्रदेश में अब सफर और आसान और तेज़ होने वाला है. राज्य में तीन बड़े सड़क परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है. जिनमें कानपुर रिंग रोड, लखनऊ रिंग रोड और नोएडा-कानपुर एक्सप्रेसवे शामिल हैं. इन परियोजनाओं का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में यातायात को सुगम बनाना और शहरों में भीड़भाड़ को कम करना है. साथ ही इनसे कनेक्टिविटी बेहतर होगी और आर्थिक विकास को भी नई रफ्तार मिलेगी. आइए जानते हैं इन तीनों महत्वपूर्ण परियोजनाओं के बारे में विस्तार से.
कानपुर रिंग रोड
कानपुर में 93 किलोमीटर लंबा और 6 लेन का रिंग रोड तैयार किया जा रहा है. इस रिंग रोड का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है और इसे 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य है. यह रिंग रोड खासतौर पर उन वाहनों के लिए लाभकारी होगा जो मध्य प्रदेश की ओर से कानपुर में प्रवेश करते हैं. इस सड़क के बनने के बाद सागर, हमीरपुर और महोबा से आने वाले वाहन अब नौबस्ता की जगह महाराजपुर से इलाहाबाद जा सकेंगे. इसके अलावा उन्नाव के बदरका से उजेती के रास्ते सीधे लखनऊ पहुंचा जा सकेगा. इस रिंग रोड से गंगा पुल पर लगने वाले भीषण जाम से भी राहत मिलेगी. यानी अब कानपुर में लंबी दूरी की गाड़ियों को शहर में घुसने की जरूरत नहीं पड़ेगी और शहर के अंदर ट्रैफिक काफी हद तक कम हो जाएगा.
दर्जनों गांवों को मिलेगा सीधा लाभ
कानपुर रिंग रोड सिर्फ शहर के लिए ही नहीं. बल्कि आसपास के ग्रामीण इलाकों के लिए भी वरदान साबित होगी. इस परियोजना से रास्तपुर, फत्तेपुर निहुटा, टिकरी, हृदयपुर प्रतापपुर, बाराखेड़ा, सिंहपुर दिवनी, रंजीतपुर, टोडरपुर, ढिकिया, भाऊपुर, खरगपुर बिठूर, सुजानपुर, बसौसी जैसे करीब 30 से ज्यादा गांवों को सीधा फायदा होगा. ग्रामीणों को शहर से बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी और कृषि व व्यापारिक गतिविधियों में भी तेजी आएगी.
लखनऊ रिंग रोड
लखनऊ में 104 किलोमीटर लंबा और 4 लेन का आउटर रिंग रोड भी तैयार किया जा रहा है. यह रिंग रोड लखनऊ के आसपास के जिलों से आने-जाने वाले वाहनों को शहर में प्रवेश किए बिना ही उनके गंतव्य तक पहुंचने में मदद करेगा. इससे अयोध्या, सीतापुर, बाराबंकी, हरदोई, कानपुर और रायबरेली से आने वाले वाहनों का लखनऊ शहर में प्रवेश कम होगा. जिससे राजधानी के भीतरी हिस्सों में ट्रैफिक जाम में कमी आएगी.
मास्टर प्लान 2031 में रिंग रोड का बड़ा रोल
लखनऊ मास्टर प्लान 2031 के तहत इस आउटर रिंग रोड को शहर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका दी जा रही है. इसके किनारे लखनऊ के थोक बाजारों को स्थानांतरित करने की योजना है. जिससे शहर के अंदर ट्रैफिक कम होगा. साथ ही आउटर रिंग रोड के पास नए बस टर्मिनल, रिहायशी कॉलोनियां और कमर्शियल हब विकसित किए जाएंगे. इससे न सिर्फ ट्रैफिक में सुधार होगा बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे.
नोएडा-कानपुर एक्सप्रेसवे
उत्तर प्रदेश में अब नोएडा से कानपुर का सफर और तेज होने जा रहा है. नोएडा-कानपुर एक्सप्रेसवे की डीपीआर तैयार हो चुकी है और जल्द ही इसके लिए भूमि अधिग्रहण का काम भी शुरू हो जाएगा. यह एक्सप्रेसवे 380 किलोमीटर लंबा और 6 लेन का होगा. इसके बन जाने के बाद नोएडा से कानपुर की दूरी महज साढ़े तीन घंटे में तय की जा सकेगी.
इन जिलों को होगा सबसे ज्यादा फायदा
नोएडा-कानपुर एक्सप्रेसवे से हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, फर्रुखाबाद, कन्नौज और उन्नाव जैसे नौ जिलों को सीधा फायदा मिलेगा. यह एक्सप्रेसवे न केवल यातायात को आसान बनाएगा. बल्कि इन जिलों में रियल एस्टेट, व्यापार और इंडस्ट्रियल हब के विकास को भी बढ़ावा देगा. एक्सप्रेसवे के किनारे आने वाले वर्षों में नई आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाएं शुरू होने की उम्मीद है.
बेहतर कनेक्टिविटी से रियल एस्टेट और व्यापार में तेजी
नोएडा से कानपुर तक यह एक्सप्रेसवे न सिर्फ यातायात को आसान बनाएगा. बल्कि दिल्ली-एनसीआर के व्यापार और रियल एस्टेट सेक्टर में भी नई जान फूंकेगा. खासकर गाजियाबाद, अलीगढ़ और कानपुर जैसे इलाकों में प्रॉपर्टी मार्केट को इसका सीधा फायदा मिलेगा. इसके अलावा दिल्ली से सटे इलाकों में भी बड़े-बड़े कमर्शियल प्रोजेक्ट्स और मॉल्स के आने की संभावना बढ़ेगी.
अन्य हाईवे और एक्सप्रेसवे से भी होगा कनेक्शन
कानपुर-गाजियाबाद-नोएडा एक्सप्रेसवे का उत्तरी हिस्सा एनएच-9 यानी गाजियाबाद-हापुड़ हाईवे से जोड़ा जाएगा. वहीं इसका दक्षिणी हिस्सा 62.3 किलोमीटर लंबे कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे से भी जुड़ेगा. इतना ही नहीं यह एक्सप्रेसवे गाजियाबाद में मेरठ एक्सप्रेसवे से भी हापुड़ के जरिए जोड़ा जाएगा. इससे दिल्ली से कानपुर और लखनऊ तक सफर करना बेहद आसान और तेज हो जाएगा.
2026 तक शुरू हो सकता है सफर
इस पूरी योजना के मुताबिक जनता इस एक्सप्रेसवे पर साल 2026 तक सफर कर सकेगी. इसके बाद नोएडा और कानपुर के बीच यातायात का समय न सिर्फ कम होगा. बल्कि शहरों में ट्रैफिक जाम की समस्या भी घटेगी.