गाड़ियों की On-Road Price और Ex-Showroom प्राइस क्या होती है? जाने ग्राहकों की जेब पर क्या पड़ता है असर On Road Price

On Road Price: जब भी हम वाहनों की खरीदारी की बात करते हैं, तो दो शब्द बहुत बार सुनने को मिलते हैं: एक्स-शोरूम प्राइस और ऑन-रोड प्राइस. एक्स-शोरूम प्राइस, वह कीमत होती है जो कंपनी द्वारा निर्धारित की जाती है और यह वाहन की बेसिक कीमत होती है जिसमें कोई टैक्स या अतिरिक्त शुल्क शामिल नहीं होता.

टैक्स और शुल्कों का बोझ

जब आप किसी वाहन को खरीदने का मन बनाते हैं तो आपको जो अंतिम कीमत चुकानी पड़ती है वह एक्स-शोरूम प्राइस से कहीं अधिक होती है. इसमें रोड टैक्स (road tax), रजिस्ट्रेशन फीस (registration fee), इंश्योरेंस (insurance), और कभी-कभी अतिरिक्त फीचर्स या एक्सेसरीज़ के लिए दी जाने वाली राशि शामिल होती है. ये सभी खर्च जोड़ दिए जाने पर वाहन की ऑन-रोड प्राइस काफी बढ़ जाती है.

रजिस्ट्रेशन और रोड टैक्स में अंतर

रजिस्ट्रेशन फीस एक ऐसा खर्च है जो वाहन के मालिक को उसके उपयोग का वैधानिक अधिकार देता है. यह फीस वाहन को आरटीओ में पंजीकृत करने के लिए जरूरी है. वहीं, रोड टैक्स वह शुल्क है जो सरकार द्वारा वाहनों के सड़कों पर चलने की अनुमति के लिए लिया जाता है. इस टैक्स की राशि वाहन की कीमत और उसके प्रकार पर निर्भर करती है.

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पर्यावरणीय असर और ग्रीन टैक्स

ग्रीन टैक्स या पर्यावरण टैक्स वह टैक्स है जो पुराने वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए लगाया जाता है. यह टैक्स विशेषकर उन वाहनों पर लगता है जो कि निश्चित आयु से अधिक समय तक सड़कों पर चल रहे होते हैं.

इंश्योरेंस और अतिरिक्त शुल्क

वाहन की खरीद पर इंश्योरेंस भी एक महत्वपूर्ण खर्च है. यह न केवल वाहन की सुरक्षा को बढ़ाता है बल्कि दुर्घटना या चोरी के मामले में आर्थिक सहायता भी प्रदान करता है. इसके अलावा, FASTag और कार लोन जैसी सेवाओं का उपयोग करते समय भी अतिरिक्त लागत जुड़ जाती है, जो वाहन की ऑन-रोड प्राइस को और बढ़ा देती है.

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