Aeroplane Land: यदि आपने कभी हवाई यात्रा की हो तो आपने यह जरूर देखा होगा कि विमान में उड़ान भरते समय और लैंडिंग के दौरान अंदर की लाइटें धीमी कर दी जाती हैं. इसके पीछे एक महत्वपूर्ण वजह है जो यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ी हुई है.
आंखों की रोशनी को एडजस्ट करना
सबसे पहले, यह समझना जरूरी है कि हमारी आंखों को अलग-अलग रोशनी के स्तरों के अनुसार एडजस्ट होने में समय लगता है. अध्ययन बताते हैं कि अगर आंखें तेज रोशनी से अचानक कम रोशनी में आती हैं, तो उन्हें नई स्थिति में ढलने में 10 से 25 मिनट का समय लग सकता है. फ्लाइट में लाइट्स को कम करने का मुख्य उद्देश्य यात्रियों की आंखों को अंधेरे में तेजी से एडजस्ट करवाना है, ताकि आपात स्थिति में उन्हें देखने में कोई परेशानी न हो.
सुरक्षा का महत्वपूर्ण पहलू
दूसरा, विमान दुर्घटनाएं अक्सर टेक ऑफ और लैंडिंग के वक्त होती हैं. ऐसी स्थिति में, यदि कैबिन के अंदर पहले से ही कम रोशनी हो, तो यात्री बाहर के प्रकाश में तेजी से एडजस्ट हो सकते हैं. इससे उन्हें विमान से निकलने और आपातकालीन निकासी के दौरान अधिक सुविधा होती है
इमरजेंसी स्थितियों में यात्री सहायता
विमान में अगर कोई आपात स्थिति उत्पन्न होती है, तो यात्रियों को आसानी से इमरजेंसी गेट और एग्जिट का पता लग सके, इसके लिए भी कैबिन की लाइट कम रखी जाती है. इससे यात्रियों को इमरजेंसी लाइट्स के अनुसार दिशा निर्देश मिलते हैं और वे बिना किसी देरी के सुरक्षित रूप से विमान से बाहर निकल सकते हैं.
आपातकालीन निकासी की तैयारी
इन सभी कारणों से, फ्लाइट में लाइट कम करना एक अत्यंत महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है. यह न केवल आपातकालीन स्थितियों में यात्रियों की मदद करता है बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि विमान में सभी आवश्यक सुरक्षा मानदंडों का पालन किया जा रहा है. यह उपाय यात्रियों को न केवल शांति प्रदान करता है बल्कि उन्हें यह विश्वास भी दिलाता है कि उनकी सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाया जा रहा है. इस प्रकार, फ्लाइट में लाइट कम करना सिर्फ एक सामान्य प्रक्रिया नहीं बल्कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक जरूरी कदम है.