UPI And Rupay Charges: भारत में डिजिटल पेमेंट का चलन तेजी से बढ़ रहा है. खासतौर पर UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और RuPay डेबिट कार्ड का इस्तेमाल व्यापक रूप से किया जा रहा है. अभी तक इनसे किए जाने वाले लेन-देन पर कोई MDR (Merchant Discount Rate) चार्ज नहीं लगता. लेकिन अब सरकार इसे फिर से लागू करने की योजना बना रही है. इससे खासतौर पर बड़े व्यापारियों पर असर पड़ सकता है. जबकि छोटे कारोबारियों को राहत मिल सकती है.
बड़े व्यापारियों पर लगेगा MDR?
एक रिपोर्ट के मुताबिक बैंकिंग इंडस्ट्री ने सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है. जिसमें कहा गया है कि जिन व्यापारियों का सालाना टर्नओवर 40 लाख रुपये से अधिक है. उन पर फिर से MDR लागू किया जाए. सरकार इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है. इसका मतलब यह होगा कि छोटे दुकानदार जिनकी सालाना बिक्री 40 लाख रुपये से कम है. उन्हें कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा.
बड़े और छोटे व्यापारियों के लिए अलग दरें
MDR लागू करने के लिए सरकार टियर सिस्टम पर विचार कर रही है. इसमें:
- छोटे व्यापारियों को छूट मिलेगी या उन पर MDR लागू नहीं होगा.
- बड़े व्यापारियों को डिजिटल पेमेंट पर एक निश्चित शुल्क देना होगा.
- इस नीति से छोटे कारोबारियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जबकि बड़े व्यापारी जो हर महीने लाखों-करोड़ों रुपये का डिजिटल ट्रांजेक्शन करते हैं, उन्हें अतिरिक्त चार्ज देना होगा.
MDR वापस लाना क्यों जरूरी?
बैंक और पेमेंट कंपनियां MDR वापस लाने के पक्ष में हैं. उनका मानना है कि:
- बड़े व्यापारी पहले से ही Visa, Mastercard और क्रेडिट कार्ड पर MDR देते हैं, तो फिर UPI और RuPay पर भी शुल्क क्यों नहीं लिया जाए?
- सरकार ने 2022 में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए MDR हटा दिया था. लेकिन अब UPI सबसे लोकप्रिय पेमेंट मोड बन चुका है. इसलिए सरकार इसके खर्च को वहन करने के बजाय बड़े व्यापारियों से शुल्क वसूल सकती है.
- डिजिटल पेमेंट प्रोसेसिंग में सिक्योरिटी, टेक्नोलॉजी अपग्रेड और साइबर सुरक्षा पर भारी निवेश करना पड़ता है. जिसे बनाए रखने के लिए यह शुल्क जरूरी है.
पेमेंट कंपनियों के लिए MDR जरूरी क्यों है?
सरकार ने पेमेंट एग्रीगेटर नियमों के तहत पेमेंट कंपनियों को रेगुलेट करना शुरू कर दिया है. इससे फोनपे (PhonePe), गूगल पे (Google Pay) और पेटीएम (Paytm) जैसी कंपनियों के ऊपर ज्यादा दबाव आ गया है.
- इन्हें पेमेंट प्रोसेसिंग, साइबर सुरक्षा, टेक्नोलॉजी अपग्रेड और कस्टमर सर्विस के लिए भारी निवेश करना पड़ता है.
- अगर MDR वापस नहीं आया, तो पेमेंट कंपनियों के लिए बिजनेस बनाए रखना मुश्किल हो सकता है.
क्या है MDR और क्यों लगता है?
MDR (Merchant Discount Rate) एक फीस होती है, जो दुकानदार अपने बैंक को डिजिटल पेमेंट प्रोसेस करने के बदले में देते हैं. जब ग्राहक UPI, डेबिट कार्ड या अन्य डिजिटल मोड से पेमेंट करता है, तो बैंक और पेमेंट कंपनियों को इसे प्रोसेस करने के लिए तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा व्यवस्था का खर्च उठाना पड़ता है. इसी खर्च की भरपाई के लिए MDR लिया जाता है.
सरकार की सब्सिडी में भी कटौती
डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बैंकों और फिनटेक कंपनियों को सब्सिडी दी थी, लेकिन अब इस पर कटौती की जा रही है.
- पिछले साल सरकार ने 3,500 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी थी. लेकिन इस साल इसे घटाकर सिर्फ 437 करोड़ रुपये कर दिया गया है.
- कई बैंकों को पिछले साल की सब्सिडी राशि भी अब तक नहीं मिली है.
- सरकार की तरफ से सहयोग में कमी आने के कारण बैंक और पेमेंट कंपनियां MDR वापस लाने की मांग कर रही हैं.
बड़े व्यापारियों को कितना असर पड़ेगा?
इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि बड़े व्यापारी पहले से ही Visa और Mastercard पर 1% तक MDR देते हैं, इसलिए अगर UPI पर भी कुछ फीस लगती है, तो उन्हें ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा.
- बड़ी कंपनियां 50% से ज्यादा लेन-देन डिजिटल मोड से करती हैं. इसलिए उनके लिए यह खर्च मैनेज करना आसान होगा.
- इससे छोटे व्यापारियों और ग्राहकों को ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. क्योंकि उनकी लेन-देन लागत में ज्यादा बदलाव नहीं होगा.
फिनटेक कंपनियों की चिंता
- फिनटेक कंपनियों जैसे PhonePe, Google Pay, Paytm के मुताबिक UPI पर कोई फीस नहीं लगने के कारण उन्हें भारी घाटा हो रहा है.
- कंपनियों का कहना है कि बिना शुल्क के यह लागत लंबे समय तक सहन करना मुश्किल होगा.
- फरवरी 2025 में 16 अरब (1.6 बिलियन) यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए. जिनकी कुल राशि 22 लाख करोड़ रुपये थी.
- इतनी बड़ी संख्या में लेन-देन को प्रोसेस करने के लिए भारी टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा खर्च उठाना पड़ता है.