केवल रजिस्ट्री करवाने से नही मिलेगा मालिक हक, बनवा लेना ये जरुरी डॉक्युमेंट Property Registry

Property Registry: जब भी कोई व्यक्ति प्रॉपर्टी खरीदने की योजना बनाता है, तो सबसे पहले यह जरूरी होता है कि वह पूरी तरह से उसकी स्थिति का मूल्यांकन करे और आवश्यक कागजात की जांच करे। प्रॉपर्टी का सटीक मूल्यांकन भविष्य में किसी भी विवाद से बचने में मदद करता है। यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि सभी दस्तावेज स्पष्ट और कानूनी रूप से सही हों।

रजिस्ट्री क्यों है जरूरी?

प्रॉपर्टी के अधिकार को प्रमाणित करने के लिए रजिस्ट्री सबसे अहम दस्तावेजों में से एक है। रजिस्ट्री (Property Registration) प्रॉपर्टी के मालिकाना हक को वैधता प्रदान करती है और इससे यह साबित होता है कि प्रॉपर्टी कानूनी रूप से खरीदी गई है। हालांकि, केवल रजिस्ट्री करवा लेने से ही प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक नहीं मिल जाता। इसके अलावा भी कुछ कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करनी होती हैं।

प्रॉपर्टी का नामांतरण (म्यूटेशन) भी जरूरी

रजिस्ट्री के बाद नामांतरण या म्यूटेशन (Mutation Process) कराना भी आवश्यक है। यह प्रक्रिया प्रॉपर्टी के वास्तविक मालिकाना हक को प्रमाणित करती है। म्यूटेशन से यह सुनिश्चित होता है कि प्रॉपर्टी के सरकारी दस्तावेजों में खरीदार का नाम दर्ज हो। कई बार लोग केवल रजिस्ट्री करवाने के बाद संतुष्ट हो जाते हैं, लेकिन यदि नामांतरण नहीं कराया गया, तो भविष्य में प्रॉपर्टी पर कानूनी विवाद खड़ा हो सकता है।

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विवादों से बचने के लिए आवश्यक दस्तावेजों की जांच करें

यदि आप चाहते हैं कि भविष्य में कोई विवाद न हो, तो प्रॉपर्टी से जुड़े सभी दस्तावेजों की जांच करना आवश्यक है। केवल बिक्री प्रमाणपत्र (Sale Deed) होने से मालिकाना हक नहीं बदलता, बल्कि इसके लिए कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होती है। इसके लिए संबंधित सरकारी विभाग में आवेदन देना जरूरी है।

प्रॉपर्टी खरीदते समय कैसे बचें धोखाधड़ी से?

प्रॉपर्टी की खरीदारी के दौरान कई लोग धोखाधड़ी के शिकार हो जाते हैं। इसलिए, खरीदारी से पहले कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखना आवश्यक है:

  1. प्रॉपर्टी का कानूनी वेरीफिकेशन: प्रॉपर्टी के दस्तावेजों की सही तरीके से जांच करें।
  2. मालिकाना हक की पुष्टि: प्रॉपर्टी बेचने वाले व्यक्ति का मालिकाना हक प्रमाणित करें।
  3. बैंक लोन स्थिति: यदि प्रॉपर्टी किसी बैंक में गिरवी रखी गई है, तो इसकी जानकारी लें।
  4. पुराने बकाया बिलों की जांच: पानी, बिजली, प्रॉपर्टी कर आदि का कोई बकाया तो नहीं है, यह सुनिश्चित करें।
  5. नामांतरण प्रक्रिया: प्रॉपर्टी का नामांतरण जल्द से जल्द पूरा करें।

नामांतरण प्रक्रिया क्या है और यह कैसे पूरी करें?

अचल प्रॉपर्टी मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है:

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  1. कृषि भूमि (Farming Land) – इसमें भूमि का उपयोग खेती के लिए किया जाता है।
  2. आवासीय प्रॉपर्टी (Residential Property) – इसमें मकान, फ्लैट, प्लॉट आदि आते हैं।
  3. औद्योगिक प्रॉपर्टी (Industrial Property) – इसमें फैक्ट्री, गोदाम आदि शामिल होते हैं।

हर प्रकार की प्रॉपर्टी के नामांतरण की प्रक्रिया अलग होती है। यदि किसी प्रॉपर्टी को बिक्री दस्तावेज (Sale Deed) के माध्यम से खरीदा गया है, तो संबंधित विभाग में जाकर नामांतरण की प्रक्रिया पूरी करनी होती है। इसके लिए कुछ आवश्यक दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है।

नामांतरण के लिए आवश्यक दस्तावेज

  1. बिक्री प्रमाणपत्र (Sale Deed) – यह साबित करता है कि प्रॉपर्टी बेची गई है।
  2. स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र – रजिस्ट्री के दौरान भरी गई स्टांप ड्यूटी की रसीद।
  3. पिछले मालिक का प्रॉपर्टी कर रसीद – यह सुनिश्चित करता है कि कोई पेंडिंग टैक्स नहीं है।
  4. खरीदार का पहचान पत्र और पता प्रमाण – आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी आदि।
  5. बिजली और पानी बिल की कॉपी – यह पुष्टि करता है कि सभी बकाया बिल चुकाए गए हैं।

नामांतरण के बाद क्या करें?

नामांतरण प्रक्रिया पूरी होने के बाद खरीदार को प्रॉपर्टी कर (Property Tax) का भुगतान शुरू करना होगा। इसके अलावा, यदि कोई बकाया बिल हो, तो उसे भी जल्द से जल्द निपटाना जरूरी है। नामांतरण के बाद, प्रॉपर्टी के सभी दस्तावेजों को सुरक्षित रखना आवश्यक है, ताकि भविष्य में किसी भी विवाद से बचा जा सके।

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