SIM Card New Rules: भारत में टेलीकॉम कंपनियां अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने के लिए लगातार नए ऑफर और सुविधाएं पेश कर रही हैं. Airtel और Jio जैसी बड़ी कंपनियां देश में करोड़ों यूजर्स को टेलीकॉम सेवाएं प्रदान कर रही हैं. हालांकि, इन सेवाओं के साथ-साथ साइबर फ्रॉड की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं. साइबर अपराधी विभिन्न तरीकों से फर्जी सिम कार्ड का उपयोग कर धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे हैं. जिससे न केवल आम जनता बल्कि सरकार और कंपनियां भी प्रभावित हो रही हैं.
साइबर फ्रॉड पर सरकार की सख्ती
सरकार लगातार बढ़ते साइबर अपराधों को रोकने के लिए सख्त कदम उठा रही है. इसी कड़ी में टेलीकॉम विभाग ने टेलीकॉम कंपनियों को नए नियमों का पालन करने का निर्देश दिया है. अब बिना बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के कोई भी नया सिम कार्ड जारी नहीं किया जाएगा. इससे फर्जी सिम का इस्तेमाल कर होने वाले साइबर अपराधों पर रोक लगाने में मदद मिलेगी.
नया सिम लेने के लिए बदला नियम
अब यदि कोई नया सिम लेना चाहता है, तो उसे कुछ नए और सख्त नियमों का पालन करना होगा. इन नियमों के तहत:
- सिम खरीदने वाले ग्राहक को बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन कराना अनिवार्य होगा.
- ग्राहक को अपने चेहरे की 10 अलग-अलग एंगल से फोटो देनी होगी.
- आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्र की पूरी जांच की जाएगी.
- रिटेलर को ग्राहक की जानकारी टेलीकॉम कंपनियों के सर्वर पर अपलोड करनी होगी.
- वेरिफिकेशन के बिना किसी भी ग्राहक को सिम नहीं दिया जाएगा.
कैसे रोका जाएगा फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल?
नए नियमों के तहत अब ग्राहक को केवल एक बार सिम खरीदने की प्रक्रिया से गुजरना होगा. जिसमें बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा. इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी व्यक्ति फर्जी दस्तावेजों के जरिए सिम ना ले सके. इससे फर्जी कॉल, ऑनलाइन ठगी और अन्य साइबर फ्रॉड पर लगाम लगाई जा सकेगी.
10 एंगल से फोटो की अनिवार्यता क्यों?
फर्जी सिम कार्ड जारी करने वाले साइबर अपराधी अक्सर नकली पहचान पत्र और अन्य धोखाधड़ी वाले दस्तावेजों का उपयोग करते हैं. 10 एंगल से फोटो लेने का उद्देश्य यह है कि हर ग्राहक की पहचान को कई बार क्रॉस-चेक किया जा सके और किसी भी प्रकार की हेरफेर से बचा जा सके. इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि ग्राहक स्वयं ही सिम खरीद रहा है और कोई अन्य व्यक्ति उसकी पहचान का गलत उपयोग नहीं कर रहा.
बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन से क्या होगा फायदा?
बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन से कई फायदे होंगे:
- साइबर अपराध में कमी – धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के मामलों में कमी आएगी.
- सुरक्षित डिजिटल ट्रांजैक्शन – ऑनलाइन लेन-देन में सुरक्षा बढ़ेगी.
- फर्जी सिम पर रोक – कोई भी अनजान व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर सिम नहीं ले सकेगा.
- गोपनीयता और सुरक्षा – उपभोक्ता की जानकारी सुरक्षित रहेगी और डेटा चोरी की संभावना कम होगी.
कंपनियों के लिए नया वेरिफिकेशन सिस्टम कितना कारगर होगा?
टेलीकॉम कंपनियों को अब नए नियमों के तहत अपने ग्राहकों के डेटा को सुरक्षित तरीके से स्टोर करना होगा. इसके लिए उन्हें अपने सर्वर को और मजबूत बनाना होगा ताकि किसी भी प्रकार की डेटा चोरी या साइबर अटैक से बचा जा सके. साथ ही कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हर ग्राहक की जानकारी सही ढंग से वेरिफाई की जाए.
ग्राहकों के लिए नया नियम कितना फायदेमंद?
नए नियम ग्राहकों के लिए भी फायदेमंद हैं. इससे उनकी पहचान और सिम का गलत इस्तेमाल रोकने में मदद मिलेगी. कई बार फर्जी सिम के जरिए ठगी के मामले सामने आते हैं. जिससे मासूम लोग शिकार बन जाते हैं. लेकिन अब इस नियम के लागू होने से ग्राहक को अधिक सुरक्षा मिलेगी.
क्या होगा उन लोगों का जिनके पास पहले से सिम है?
यह नया नियम नए सिम कार्ड खरीदने के लिए लागू किया गया है. लेकिन सरकार जल्द ही पुराने ग्राहकों के लिए भी री-वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू कर सकती है. यदि ऐसा होता है, तो पहले से सिम उपयोग कर रहे ग्राहकों को भी बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन कराना पड़ सकता है.