Electricity In Phone Charging: आज के समय में स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. हम सुबह उठते ही सबसे पहले फोन देखते हैं और रात को सोने से पहले भी मोबाइल का ही इस्तेमाल करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस फोन को आप रोजाना घंटों इस्तेमाल करते हैं. उसे चार्ज करने में आखिर कितनी बिजली खर्च होती है और इसका आपके बिजली बिल पर क्या असर पड़ता है? आइए इस सवाल का आसान और रोचक जवाब आपको बताते हैं.
बिना चार्जिंग के नहीं चलेगा आपका फोन
स्मार्टफोन भले ही कितने भी एडवांस्ड फीचर्स से लैस हो. लेकिन अगर उसमें बैटरी चार्ज नहीं है तो वह किसी ईंट से कम नहीं. यानी फोन को काम में लाने के लिए चार्ज करना जरूरी है. हम में से कई लोग दिन में एक या दो बार तो फोन चार्ज करते ही हैं. लेकिन बहुत कम लोग इस बात पर ध्यान देते हैं कि इस चार्जिंग में कुल कितनी बिजली खर्च होती है और इसका आपके बिजली के बिल से क्या रिश्ता है.
औसतन कितना खर्च करता है एक स्मार्टफोन चार्ज करना?
एक सामान्य स्मार्टफोन को फुल चार्ज करने में औसतन 5 से 6 वॉट-घंटे (Wh) बिजली की खपत होती है. यह आंकड़ा इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपके फोन की बैटरी कितनी बड़ी है और आप कौन सा चार्जर इस्तेमाल कर रहे हैं. उदाहरण के लिए अगर आपके फोन में 4000 से 5000 mAh की बैटरी है तो उसे एक बार में चार्ज करने में करीब 5 वॉट से 6 वॉट तक की बिजली लगेगी.
महीने में कितनी बिजली खर्च होती है फोन चार्जिंग में?
अगर आप रोजाना अपने फोन को एक बार पूरी तरह चार्ज करते हैं तो महीने भर में आपकी फोन चार्जिंग से कुल 0.15 यूनिट तक बिजली खर्च होती है. कुछ मामलों में अगर आप दिन में दो बार चार्ज करते हैं तो यह आंकड़ा 0.3 यूनिट तक जा सकता है.
यूनिट क्या होती है और इसका मतलब समझें
बिजली में यूनिट का मतलब होता है एक किलोवाट-घंटे (kWh). यानी अगर कोई उपकरण एक घंटे में 1000 वॉट बिजली खर्च करता है तो वह एक यूनिट खर्च मानी जाती है. अब जब एक फोन को चार्ज करने में औसतन 5-6 वॉट लगते हैं, तो पूरे महीने में यह खपत 0.15 यूनिट के आसपास होती है.
कितने रुपये खर्च होते हैं एक महीने में?
अब सवाल उठता है कि 0.15 यूनिट बिजली का मतलब कितने रुपये? भारत में अलग-अलग राज्यों में बिजली की दरें अलग-अलग हैं. लेकिन औसतन एक यूनिट की कीमत 6 से 8 रुपये के बीच होती है. अगर हम औसतन 7 रुपये प्रति यूनिट की दर से मानें तो एक स्मार्टफोन को महीने भर चार्ज करने में करीब 1 से 1.5 रुपये का खर्च आता है.
जी हां सुनकर थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन सच यही है कि आपके पूरे महीने की फोन चार्जिंग का खर्च 2 रुपये से भी कम होता है.
तेज चार्जर और बड़ी बैटरी का क्या असर होता है?
आजकल ज्यादातर स्मार्टफोन फास्ट चार्जिंग सपोर्ट करते हैं. फास्ट चार्जर जैसे 18 वॉट, 33 वॉट या 65 वॉट के चार्जर थोड़ी ज्यादा बिजली खपत कर सकते हैं, लेकिन इनसे भी आपकी कुल महीने की खपत में कोई बड़ा बदलाव नहीं आता. हां अगर आप बार-बार चार्ज करते हैं या मोबाइल गेमिंग और वीडियो स्ट्रीमिंग ज्यादा करते हैं तो आपको फोन ज्यादा बार चार्ज करना पड़ेगा. जिससे सालाना खर्च थोड़ा बढ़ सकता है.
लैपटॉप और अन्य डिवाइसेज की तुलना में कितना है खर्च?
अगर आप स्मार्टफोन की तुलना लैपटॉप या डेस्कटॉप से करें तो आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लैपटॉप की चार्जिंग में महीने में 5 से 10 यूनिट तक बिजली खर्च हो सकती है. वहीं डेस्कटॉप और बड़े मॉनिटर वाले सेटअप में यह आंकड़ा और ज्यादा हो जाता है. इसी तरह टीवी और माइक्रोवेव जैसी चीजें भी फोन की तुलना में कई गुना ज्यादा बिजली खर्च करती हैं.
फोन चार्जिंग में खर्च कम करने के टिप्स
- फोन को जरूरत से ज्यादा चार्ज न करें: रातभर फोन चार्ज करने की आदत से बचें.
- असली चार्जर का ही इस्तेमाल करें: नकली चार्जर ज्यादा बिजली खींच सकते हैं और फोन की बैटरी को भी नुकसान पहुंचाते हैं.
- पावर सेविंग मोड का इस्तेमाल करें: इससे बैटरी लंबे समय तक चलेगी और बार-बार चार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
फोन चार्जिंग में खर्च नहीं, बैटरी हेल्थ का रखें ध्यान
हालांकि बिजली की खपत के लिहाज से स्मार्टफोन चार्जिंग बहुत ही मामूली खर्च है. लेकिन ज्यादा बार चार्जिंग करने से आपकी बैटरी की उम्र कम हो सकती है. इसलिए बैटरी की सेहत बनाए रखना ज्यादा जरूरी है. बेहतर होगा कि आप बैटरी को 20% से नीचे और 90% से ऊपर चार्ज न करें और समय-समय पर फोन की बैटरी हेल्थ चेक करते रहें.