Smart Meter Supply: कानपुर बिजली वितरण कंपनी (केस्को) के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए बड़ी खबर है. केस्को प्रबंधन ने आदेश जारी कर दिया है कि 31 मार्च 2025 तक सभी कर्मचारियों और इंजीनियरों के घरों में स्मार्ट मीटर लगाना अनिवार्य होगा. इस काम की शुरुआत केस्को एमडी और निदेशक के घरों से हो चुकी है. अब 1400 से ज्यादा कर्मचारियों के घरों में यह मीटर लगाने का काम तेजी से किया जा रहा है.
मीटर नहीं लगवाने पर वेतन रोकने की चेतावनी
केस्को के प्रबंध निदेशक सैमुअल पान एन ने स्पष्ट कर दिया है कि जो भी कर्मचारी या इंजीनियर स्मार्ट मीटर लगवाने में सहयोग नहीं करेगा. उसका वेतन रोक दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह आदेश सभी पर लागू होगा और 31 मार्च की डेडलाइन के बाद किसी को भी बिना स्मार्ट मीटर के सेवा लाभ नहीं मिलेगा. इस अभियान के तहत अगले 20 दिनों में सभी घरों में स्मार्ट मीटर लगाकर शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी. वहींइस फैसले के बाद कर्मचारियों में असंतोष भी नजर आ रहा है.
कर्मचारी संगठन ने जताया विरोध
केस्को संयुक्त कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष विजय त्रिपाठी ने इस फैसले का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को फिक्स चार्ज के तहत बिजली का लाभ मिल रहा है और यह सेवा शर्तों का हिस्सा है. रेलवे और रोडवेज कर्मचारियों की तरह ही केस्को कर्मचारियों को भी यह सुविधा दी गई थी. उनका कहना है कि अगर स्मार्ट मीटर लगते हैं तो कर्मचारियों को अब बिजली का बिल देना पड़ेगाजो पहले फिक्स चार्ज में शामिल होता था. विजय त्रिपाठी ने साफ किया कि कर्मचारी इस कदम का विरोध करेंगे और इसे कर्मचारियों के अधिकारों का हनन बताया.
अब तक फिक्स चार्ज पर अनलिमिटेड बिजली
अब तक केस्को कर्मचारियों और अधिकारियों को हर महीने एक निश्चित फिक्स चार्ज देकर अनलिमिटेड बिजली खर्च करने की सुविधा मिल रही थी.
- तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सिर्फ 417 रुपये प्रतिमाह देकर अनलिमिटेड बिजली इस्तेमाल कर सकते थे.
- अवर अभियंता से अधीक्षण अभियंता तक के अधिकारी 890 रुपये से लेकर 1560 रुपये प्रतिमाह फिक्स चार्ज देते थे.
- वहींमुख्य अभियंता को सिर्फ 1766 रुपये में अनलिमिटेड बिजली की सुविधा थी.
इसके साथ ही अगर किसी ने अपने घर में एसी लगाया है तो उसके लिए मात्र 650 रुपये प्रतिमाह अतिरिक्त देना पड़ता था. अब स्मार्ट मीटर लगने के बाद सभी का बिजली का वास्तविक खर्च रिकॉर्ड किया जाएगा.
स्मार्ट मीटर से कैसे बदलेगा बिजली का हिसाब
स्मार्ट मीटर लगने के बाद केस्को अपने कर्मचारियों के घरों में जलने वाली हर यूनिट का हिसाब रखेगा. यानी अब जितनी बिजली खर्च होगीउतना ही बिल बनेगा. यह व्यवस्था अब तक उपभोक्ताओं पर लागू थीलेकिन अब कर्मचारियों पर भी लागू की जा रही है. केस्को 582 करोड़ रुपये की लागत से एएमआइएसपी (एडवांस मीटरिंग इंफ्राटेक्चर प्रोवाइडर) योजना के तहत यह स्मार्ट मीटर अभियान चला रहा है.
सरकारी दफ्तरों में भी लगेंगे स्मार्ट मीटर
केस्को ने जानकारी दी है कि 31 मार्च के बाद कानपुर के सभी सरकारी कार्यालयों में भी 4जी पोस्टपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे. इसका मतलब यह है कि अब सरकारी संस्थानों में भी बिजली का खर्च पूरी पारदर्शिता के साथ रिकॉर्ड किया जाएगा. इस कदम से न केवल बिजली खर्च पर नियंत्रण होगाबल्कि अनावश्यक बिजली खर्च को भी रोका जा सकेगा.
कर्मचारी बोले- सेवा शर्तों का उल्लंघन
कर्मचारियों का कहना है कि स्मार्ट मीटर लगाने से उनकी सेवा शर्तों का उल्लंघन हो रहा है. अभी तक उन्हें फिक्स चार्ज का लाभ लंबे समय से दिया जा रहा था. जिसे अब खत्म किया जा रहा है. संगठन का कहना है कि सरकार ने पहले कर्मचारियों को यह सुविधा रेलवे और रोडवेज कर्मचारियों की तर्ज पर दी थीलेकिन अब स्मार्ट मीटर लगाकर इस व्यवस्था को खत्म किया जा रहा है. जिससे कर्मचारियों पर आर्थिक भार बढ़ेगा.
स्मार्ट मीटर लगने से कंपनी को क्या फायदा?
प्रबंधन का कहना है कि स्मार्ट मीटर लगाने से बिजली की बर्बादी पर लगाम लगेगी और बिजली चोरी जैसी घटनाओं पर भी रोक लगेगी. स्मार्ट मीटर से हर उपभोक्ता और कर्मचारी के वास्तविक बिजली उपभोग का डेटा उपलब्ध रहेगा. जिससे कंपनी को राजस्व घाटा कम करने में मदद मिलेगी. इसके अलावाकंपनी का कहना है कि अब कर्मचारियों को भी उतना ही बिल देना होगा. जितना वे वास्तव में बिजली खर्च करेंगे.
शहर में सात लाख उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा अभियान
केस्को एमडी सैमुअल पान एन ने बताया कि स्मार्ट मीटर लगाने का यह अभियान सिर्फ कर्मचारियों तक सीमित नहीं रहेगा. आने वाले वर्षों में 2027 तक शहर के सात लाख उपभोक्ताओं के घरों में भी स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे. इससे कंपनी का मकसद पूरे शहर में बिजली वितरण और खपत की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और नियंत्रित बनाना है.