Traffic Rules: उत्तर प्रदेश में सड़क सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सड़क सुरक्षा कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर कई इम्पॉर्टन्ट बिंदुओं पर चर्चा की। इसमें मुख्य रूप से बिना हेलमेट दफ्तर आने वाले सरकारी कर्मचारियों और बिना हेलमेट स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों पर सख्ती बरतने के निर्देश दिए गए। साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक इंफोर्समेंट डिवाइसेस और ब्लैक स्पॉट सिलेक्ट करने पर भी जोर दिया गया।
‘नो हेलमेट, नो एंट्री’ नीति होगी लागू
कमेटी ने बैठक में सिफारिश की कि सभी सरकारी और अर्द्ध सरकारी विभागों, स्कूल-कॉलेजों और प्राइवेट संस्थानों में बिना हेलमेट आने वाले कर्मचारियों और विद्यार्थियों की ऐब्सेन्ट दर्ज की जाए। यह अभियान पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
दोपहिया वाहन दुर्घटना
बैठक में बताया गया कि बीते वर्ष सड़क हादसों में हुई कुल मौतों में से 31 प्रतिशत दोपहिया वाहन चालकों की थी। इसी को ध्यान में रखते हुए अब न सिर्फ वाहन चालक बल्कि पीछे बैठने वाले व्यक्ति को भी हेलमेट पहनना अनिवार्य किया जाएगा। यदि पीछे बैठा व्यक्ति चार वर्ष से अधिक उम्र का है, तो उसके लिए भी हेलमेट अनिवार्य होगा। नियमों का उल्लंघन करने पर संबंधित वाहन चालक पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सड़क हादसों को रोकने के लिए और कड़े नियम
- मोबाइल और ईयरफोन का उपयोग: गाड़ी चलाते समय मोबाइल और ईयरफोन का उपयोग करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।
- नशे में वाहन चलाना: शराब पीकर वाहन चलाने वालों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाएगा।
- गलत दिशा में वाहन चलाना: सड़क पर गलत दिशा में वाहन चलाने पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
- ब्लैक स्पॉट सुधार: यमुना एक्सप्रेसवे पर हुए हादसों में 40 प्रतिशत की कमी आई है, जिसे और बेहतर करने के लिए ब्लैक स्पॉट सिलेक्ट कर उनमें सुधार किया जाएगा।
पुलिस और परिवहन विभाग के बीच समन्वय बढ़ाने की जरूरत
सड़क सुरक्षा कमेटी ने सुझाव दिया कि पुलिस मुख्यालय और जिला स्तर पर तैनात पुलिस अधिकारियों को ‘विश्वकर्मा ऐप’ से जोड़ा जाए। इससे ब्लैक स्पॉट सिलेक्ट करने की प्रक्रिया तेज होगी और रिलेटेड विभागों से कनेक्शन बनाकर तुरंत सुधार कार्य कराया जा सकेगा।
सड़क सुरक्षा को शिक्षा प्रणाली में शामिल करने की मांग
परिवहन आयुक्त बीएन सिंह ने सुझाव दिया कि सड़क सुरक्षा को शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बनाया जाए।
- कक्षा 6 से 12 के पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों को अनिवार्य किया जाए।
- परीक्षा में सड़क सुरक्षा से संबंधित प्रश्न शामिल किए जाएं।
- ड्राइविंग लाइसेंस आवेदन प्रक्रिया को हिंदी में अनिवार्य किया जाए।