Scrapped Currency Notes: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) हमारे देश का केंद्रीय बैंक है, जिसे देश में नोट जारी करने का अधिकार प्राप्त है. हाल ही में आरबीआई ने घोषणा की है कि वह जल्द ही 100 और 200 रुपये के नए नोट जारी करेगा. इन नोटों में किसी भी तरह के डिजाइन में बदलाव नहीं किया जाएगा. बस इन पर नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के हस्ताक्षर होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुराने और चलन से बाहर हो चुके नोटों का आखिर क्या होता है?
चलन से बाहर हुए नोटों का क्या होता है?
जब सरकार या आरबीआई किसी भी नोट को चलन से बाहर कर देती है, तो आम जनता को निर्देश दिया जाता है कि वे अपने पास मौजूद इन नोटों को बैंकों में जमा करवा दें. यह प्रक्रिया एक निश्चित समय सीमा के अंदर पूरी करनी होती है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि कोई भी नागरिक पुराने नोटों का गलत इस्तेमाल न कर सके और उन्हें वित्तीय प्रणाली से बाहर किया जा सके.
बैंक में जमा होते हैं पुराने नोट
लोग जब अपने पुराने और अमान्य हो चुके नोट बैंक में जमा करते हैं तो इन नोटों को संबंधित बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय (Regional Office) में भेज देता है. इसके बाद आरबीआई इन नोटों का निपटारा करता है. इस प्रक्रिया में बेहद सावधानी बरती जाती है ताकि इन नोटों का कोई भी दुरुपयोग न हो पाए.
आरबीआई करता है नोटों की जांच
आरबीआई के रीजनल ऑफिस में पहुंचने के बाद सबसे पहले नोटों की जांच होती है. यह जांच मशीनों के जरिए की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी नकली नोट इस प्रक्रिया में शामिल न हो. नोटों को असली या नकली पहचानने के लिए ऑटोमैटिक मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है. जांच के बाद ही यह तय होता है कि नोट को आगे नष्ट किया जाएगा या नहीं.
टुकड़ों में काटे जाते हैं पुराने नोट
जांच पूरी हो जाने के बाद आरबीआई इन नोटों को विशेष मशीनों से छोटे-छोटे टुकड़ों में काट देता है. इस प्रक्रिया को ‘श्रे़डिंग’ कहा जाता है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि इन नोटों का कोई भी हिस्सा फिर से किसी भी रूप में उपयोग न हो सके. इस चरण के बाद ये नोट पूरी तरह से अमान्य हो जाते हैं और किसी भी वित्तीय प्रणाली में नहीं लौट सकते.
नोटों का होता है रिसाइक्लिंग
आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 2016 में जब भारत में नोटबंदी हुई थी. तब आरबीआई ने इन पुराने नोटों को रिसाइकिल करने का काम शुरू किया था. इसके लिए केरल की ‘वेस्टर्न इंडिया प्लाईवुड’ नाम की कंपनी को रद्दी नोट बेचे गए थे. इस कंपनी ने इन नोटों से कार्डबोर्ड और अन्य पेपर प्रोडक्ट्स तैयार किए.
रिसाइकलिंग से बनते हैं कार्डबोर्ड और अन्य उत्पाद
रद्दी नोटों का उपयोग कर पेपर मिलें कार्डबोर्ड, प्लाईवुड और अन्य औद्योगिक उत्पाद बनाती हैं. पुराने नोटों को काटने के बाद इनका पल्प बनाया जाता है और फिर इसका इस्तेमाल औद्योगिक कागज और अन्य सामग्रियों में किया जाता है. इससे न केवल कचरे का सही प्रबंधन होता है बल्कि पर्यावरण के लिए भी यह एक जिम्मेदार कदम माना जाता है.
आरबीआई का सतर्कता भरा कदम
भारतीय रिजर्व बैंक बेहद सतर्कता से इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम देता है. पुराने नोटों को नष्ट करने से लेकर रिसाइकलिंग तक की हर प्रक्रिया में निगरानी रखी जाती है ताकि कोई भी व्यक्ति इन नोटों का गलत इस्तेमाल न कर सके. साथ ही यह भी देखा जाता है कि नोटों का पुनर्निमाण न किया जा सके.
क्यों जरूरी है यह प्रक्रिया?
अगर पुराने और अमान्य हो चुके नोटों का सही से निपटान न किया जाए तो इससे देश की वित्तीय प्रणाली में गड़बड़ी पैदा हो सकती है. नकली नोटों के खतरे बढ़ सकते हैं और बाजार में भ्रम की स्थिति भी पैदा हो सकती है. इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि चलन से बाहर हुए नोट न सिर्फ बैंकों में जमा हों। बल्कि उन्हें पूरी तरह से नष्ट भी कर दिया जाए.