Meerut Airport Expansion: उत्तर प्रदेश के मेरठ में हवाई सेवा को लेकर लंबे समय से अटकी योजना अब तेजी पकड़ती नजर आ रही है. मेरठ के परतापुर में स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर हवाई पट्टी के विस्तार की दिशा में सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस प्रोजेक्ट के लिए 23 करोड़ रुपये जारी करने की सहमति दी है. अब मेरठ से 72 सीट वाले यात्री विमान उड़ान भर सकेंगे. इससे मेरठ और आस-पास के जिलों के लोगों को सीधे हवाई कनेक्टिविटी मिलने की उम्मीद बढ़ गई है.
मेरठ हवाई अड्डे का होगा बड़ा विस्तार
फिलहाल मेरठ के परतापुर स्थित हवाई पट्टी की लंबाई 1800 मीटर और चौड़ाई 80 मीटर है, जो छोटी विमान सेवाओं के लिए ही पर्याप्त है. लेकिन अब सरकार इस हवाई पट्टी का विस्तार करने जा रही है. योजना के मुताबिक, हवाई पट्टी को 2280 मीटर लंबा और 280 मीटर चौड़ा किया जाएगा. इसके बाद यहां से 72 सीटर विमानों का संचालन संभव हो सकेगा. इससे मेरठ से देश के अन्य प्रमुख शहरों तक सीधी हवाई सेवा शुरू होने का रास्ता साफ हो जाएगा.
सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत ने बढ़ाई प्रक्रिया की रफ्तार
इस योजना को गति देने के लिए राज्यसभा सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने हाल ही में नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू से मुलाकात की. इस बैठक में मेरठ एयरपोर्ट के विस्तार और 72 सीटों वाले विमानों के संचालन को लेकर विस्तार से चर्चा हुई. डॉ. बाजपेयी ने केंद्र सरकार से मांग की कि मेरठ के लोगों को जल्द से जल्द हवाई सेवा का लाभ मिले ताकि क्षेत्र में व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सके.
चार हेक्टेयर जमीन की जरूरत, यूपी सरकार देगी मुआवजा
हवाई पट्टी विस्तार के लिए चार हेक्टेयर अतिरिक्त जमीन की जरूरत है, जो पहले से ही चिन्हित कर ली गई है. इस जमीन पर छह किसानों का स्वामित्व है, जिनके लिए 23 करोड़ रुपये मुआवजे की राशि तय की गई है. इस मुआवजे का पूरा खर्च उत्तर प्रदेश सरकार वहन करेगी. जैसे ही मुआवजा दिया जाएगा, यह जमीन एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) को सौंप दी जाएगी और इसके बाद एयरपोर्ट विस्तार का काम शुरू हो सकेगा.
10 साल से लटकी योजना अब फाइनल स्टेज में
मेरठ एयरपोर्ट के विस्तार की योजना पहली बार साल 2014 में तैयार की गई थी और इसे AAI को सौंप भी दिया गया था. लेकिन प्रशासनिक जटिलताओं और जमीन अधिग्रहण में देरी के चलते यह योजना बीते 10 वर्षों से अधर में लटकी रही. अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप के बाद इस योजना को पुनः सक्रिय कर दिया गया है और जरूरी धनराशि भी स्वीकृत कर दी गई है.
डीजीसीए की एनओसी पर टिकी योजना
फिलहाल इस परियोजना की राह में सबसे बड़ी बाधा DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) की एनओसी है. जब तक DGCA से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं मिलता, तब तक फंड जारी नहीं किया जा सकता. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया है कि जैसे ही DGCA से एनओसी मिलती है, उत्तर प्रदेश सरकार तत्काल 23 करोड़ रुपये की राशि जारी कर देगी. ऐसे में अब सभी की निगाहें DGCA की मंजूरी पर टिकी हैं.
मेरठ को सीधी हवाई सेवा मिलने की उम्मीद
मेरठ हवाई पट्टी के विस्तारीकरण से न केवल मेरठ बल्कि आसपास के जिलों सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, मुरादाबाद और हापुड़ के लोगों को भी सीधी हवाई कनेक्टिविटी मिलेगी. इससे इन क्षेत्रों में आवागमन आसान होगा और यात्रियों को दिल्ली या अन्य बड़े शहरों के हवाई अड्डों तक जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
व्यापार और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
मेरठ हवाई अड्डे के शुरू होते ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में व्यापार और पर्यटन क्षेत्र में तेजी आएगी. मेरठ औद्योगिक क्षेत्र के रूप में पहले से ही जाना जाता है. अब सीधी हवाई सेवा मिलने से व्यापारियों को अन्य शहरों से कनेक्ट करना आसान हो जाएगा. साथ ही मेरठ और आसपास के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों तक देशभर से पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी.
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा फायदा
मेरठ में हवाई सेवा शुरू होने से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. एयरपोर्ट से जुड़े काम, पर्यटन, होटल, ट्रांसपोर्ट और अन्य सेवाओं में भी नई नौकरियां पैदा होंगी. साथ ही मेट्रो और एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट्स के साथ मिलकर यह परियोजना मेरठ को दिल्ली-एनसीआर का प्रमुख केंद्र बना सकती है.