यूपी और हरियाणा में बिछेगी 135KM की रेल पटरियां, इन जिलों की हो जाएगी मौज UP and Haryana

Ravi Kishan
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UP and Haryana: ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर (Eastern Orbital Rail Corridor) उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बीच यातायात को आसान बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है। यह कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, मेरठ, बागपत और गौतम बुद्ध नगर जैसे प्रमुख जिलों से होकर गुजरेगा। इस परियोजना से छोटे शहरों और कस्बों को भी रेल कनेक्टिविटी का फायदा मिलेगा, जिससे स्थानीय यात्रियों को बेहतर परिवहन सुविधा मिलेगी।

दिल्ली और हरियाणा से यूपी जाने वाले यातायात में आएगी कमी

इस कॉरिडोर के निर्माण से दिल्ली और हरियाणा से उत्तर प्रदेश में आने-जाने वाली ट्रेनों और वाहनों का दबाव कम होगा। इससे यात्रियों को समय की बचत होगी और ट्रैफिक जाम से राहत मिलेगी। खासकर दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) के लोगों को ट्रैफिक से राहत मिलेगी क्योंकि यह रेल मार्ग मालवाहक ट्रेनों का दबाव कम करेगा।

लोकल व्यापार को मिलेगा बूस्ट

ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर के बनने से लॉजिस्टिक्स और इंडस्ट्री सेक्टर को भी बढ़ावा मिलेगा। उत्तर प्रदेश और हरियाणा के औद्योगिक क्षेत्रों में व्यापार बढ़ेगा, जिससे स्थानीय उद्योगों को फायदा होगा। इससे छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) को भी नए अवसर मिलेंगे और रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे।

कॉरिडोर की लंबाई होगी 135 किलोमीटर

इस परियोजना की कुल लंबाई लगभग 135 किलोमीटर होगी, जिसमें 45 किलोमीटर हरियाणा में और 90 किलोमीटर उत्तर प्रदेश में होगा। यह एक महत्वपूर्ण रेल नेटवर्क होगा, जो उत्तर प्रदेश और हरियाणा के प्रमुख शहरों को जोड़ेगा और उनकी कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा।

जेवर एयरपोर्ट और अन्य औद्योगिक केंद्रों को मिलेगा फायदा

यह रेल कॉरिडोर जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, न्यू बोडाकी डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC), डीएनजीआईआर, ग्रेटर नोएडा फेस-2, गाजियाबाद, मेरठ और बागपत को जोड़ेगा। इस परियोजना के कारण इन औद्योगिक हब्स को बेहतर लॉजिस्टिक्स सपोर्ट मिलेगा, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और इन क्षेत्रों में निवेश बढ़ेगा।

दिल्ली-एनसीआर की सड़कों और रेलों पर दबाव होगा कम

ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर के निर्माण से दिल्ली-एनसीआर की सड़कों और रेलवे नेटवर्क पर यातायात का दबाव कम होगा। मालवाहक ट्रेनों के इस मार्ग से गुजरने के कारण मुख्य रेलवे लाइन और हाईवे पर ट्रैफिक कम होगा, जिससे दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण भी घटेगा।

2030 तक पूरा होगा यह प्रोजेक्ट

इस रेल कॉरिडोर को 2030 तक पूरा करने की योजना बनाई गई है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) को इस परियोजना की फिजिबिलिटी स्टडी रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है ताकि इसे समय पर पूरा किया जा सके।

नेशनल हाईवे, रेलवे लाइन और एयरपोर्ट से होगा लिंक

ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर को राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway), रेलवे लाइन, रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS), डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC), जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट और न्यू नोएडा इंडस्ट्रियल टाउनशिप से जोड़ा जाएगा। इसका उद्देश्य व्यापारिक गतिविधियों को सुगम बनाना है और औद्योगिक विकास को मोटीवैट करना है।

आठ रेलवे लाइनें और तीन RRTS होंगी इस कॉरिडोर में

इस परियोजना के तहत योजनाबद्ध एलाइनमेंट में आठ रेलवे लाइनें, तीन RRTS कॉरिडोर, दो स्थानों पर यमुना नदी और एक स्थान पर हिंडन नदी को पार करना होगा। साथ ही, दस स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेसवे को पार किया जाएगा। यह संरचना इस परियोजना को और अधिक उपयोगी बनाएगी।

मुरादनगर और डासना में बनेंगे दो प्रमुख प्लेटफॉर्म

इस कॉरिडोर के तहत मुरादनगर और डासना में दो प्लेटफॉर्म बनाए जाएंगे, जो यात्रियों और व्यापारिक गतिविधियों को समर्थन देंगे। इससे स्थानीय परिवहन व्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी और इन क्षेत्रों में यात्रियों की आवाजाही आसान होगी।

18 स्टेशन होंगे इस कॉरिडोर में

ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर में कुल 18 रेलवे स्टेशन होंगे, जिससे यात्रियों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। इसके अलावा, इस रेल नेटवर्क में 12 क्रॉसिंग और 6 हॉल्ट स्टेशन भी होंगे, जो क्षेत्रीय यात्रियों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होंगे।

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