भारत में यहां आलू-प्याज के भाव में मिलते है काजू-बादाम, बोरी भर भरके खरीदते है लोग Cheapest Dry Fruit Market

Ravi Kishan
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Cheapest Dry Fruit Market: स्वास्थ्य के लिए सूखे मेवे कितने महत्वपूर्ण हैं, यह तो सभी जानते हैं. इनका सेवन शरीर की कमजोरी दूर करने, आंखों की रोशनी बढ़ाने और दिमाग को तेज बनाने में सहायक होता है. लेकिन अक्सर इन मेवों के उच्च दामों के कारण हर कोई इन्हें नियमित रूप से खरीद पाने में सक्षम नहीं होता. हालांकि, भारत में एक ऐसी जगह है जहाँ ये मेवे बहुत ही सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं. आइए, जानते हैं इस विशेष बाजार के बारे में.

सबसे सस्ती ड्राई फ्रूट्स मार्केट कहां है?

भारत के झारखंड राज्य के जामताड़ा जिले में ड्राई फ्रूट्स की कीमतें अन्य जगहों की तुलना में काफी कम हैं. जामताड़ा को काजू नगरी भी कहा जाता है, क्योंकि यहां काजू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. हर साल, यहां हजारों टन काजू का उत्पादन होता है, जिसके कारण ड्राई फ्रूट्स की कीमतें बहुत कम हो जाती हैं.

जामताड़ा में काजू-बादाम की क्या है कीमत?

भारत के अन्य बाजारों में जहां काजू की कीमत लगभग 900 से 1000 रुपए प्रति किलो होती है, वहीं जामताड़ा में आप इसे मात्र 30 से 40 रुपए प्रति किलो में खरीद सकते हैं. यहां के सड़क किनारे आपको आसानी से काजू-बादाम बेचते हुए लोग मिल जाएंगे, जो बहुत ही सस्ते दाम पर ये सूखे मेवे उपलब्ध कराते हैं.

जामताड़ा में क्यों सस्ता है काजू और बादाम?

जामताड़ा के नाला गांव में करीब 50 एकड़ जमीन पर बड़े पैमाने पर काजू की खेती की जाती है. इस क्षेत्र में काजू के बड़े-बड़े बागान होने के कारण यहां के किसान और व्यापारी बहुत ही कम कीमत पर सूखे मेवे बेच पाते हैं.

किसानों को नहीं मिलता मुनाफा

झारखंड के संथाल परगना प्रमंडल में भी काजू की खेती होती है, लेकिन किसानों को उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाता क्योंकि यहां प्रोसेसिंग प्लांट नहीं है. इस कारण से किसानों को अपनी उपज को कम कीमतों पर बेचना पड़ता है, जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हो पाता है.

इस तरह, जामताड़ा का बाजार ड्राई फ्रूट्स के लिए एक आकर्षक स्थान बन जाता है, जहां गुणवत्ता और कीमत दोनों ही उपभोक्ताओं के लिए अनुकूल हैं. यह लेख आपको उस जगह के बारे में जानकारी प्रदान करता है जहां सूखे मेवे आपके बजट में फिट बैठते हैं, साथ ही साथ यह भी बताता है कि किस तरह से यहां के किसानों को उचित मूल्य न मिल पाने के कारण ये दाम इतने कम हैं.

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