वोटर आईडी भी करवानी होगी आधार से लिंक, चुनाव आयोग कर रहा खास तैयारी Voter ID Linking

Ram Shyam
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Voter ID Linking: भारत में चुनाव प्रक्रिया को और पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए चुनाव आयोग अब एक बड़े कदम की तैयारी में है. पैन कार्ड की तरह अब मतदाता पहचान पत्र (Voter ID) को भी आधार से जोड़ने की योजना पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है. आयोग का मानना है कि इस कदम से फर्जी और डुप्लीकेट वोटर्स की समस्या पर काबू पाया जा सकेगा और मतदाता सूची को और भी साफ-सुथरा बनाया जा सकेगा.

फर्जी वोटरों पर लगेगी लगाम

चुनाव आयोग की इस पहल का सबसे बड़ा मकसद फर्जी और डुप्लीकेट वोटर्स की पहचान करना है. आयोग का कहना है कि कई राज्यों में एक ही व्यक्ति के नाम से या एक जैसे EPIC नंबर वाले डुप्लीकेट वोटर पाए गए हैं. इससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते रहे हैं. अब जब आधार जैसे मजबूत पहचान पत्र से वोटर आईडी को जोड़ा जाएगा तो डुप्लीकेट या फर्जी पंजीकरण को खत्म करने में आसानी होगी.

कानून में हो चुका है बदलाव, लेकिन लिंकिंग नहीं है अनिवार्य

गौरतलब है कि साल 2021 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन किया गया था. इसके बाद से चुनाव आयोग ने मतदाताओं से स्वेच्छा से आधार नंबर जमा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. हालांकि अभी तक आधार और वोटर आईडी डेटाबेस को लिंक करने को अनिवार्य नहीं किया गया है. यानी फिलहाल यह मतदाताओं की मर्जी पर निर्भर है कि वे अपने आधार को वोटर कार्ड से लिंक कराना चाहते हैं या नहीं.

18 मार्च को होगी अहम बैठक

इस पूरी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग 18 मार्च को एक बड़ी बैठक करने जा रहा है. इस बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी के अलावा गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय और यूआईडीएआई के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे. बैठक में इस प्रक्रिया को तेज करने और इसके कानूनी व तकनीकी पहलुओं पर चर्चा की जाएगी.

पश्चिम बंगाल में उठी डुप्लीकेट वोटर्स की आवाज

यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने पश्चिम बंगाल सहित कुछ राज्यों में एक ही EPIC नंबर वाले वोटरों का मुद्दा उठाया है. पार्टी ने आरोप लगाया है कि कई जगहों पर एक ही नंबर वाले वोटर कार्ड जारी हुए हैं. जिससे चुनाव में गड़बड़ी की आशंका है. इस पर चुनाव आयोग ने भी माना है कि कुछ राज्यों में तकनीकी गड़बड़ी के चलते एक ही अल्फान्यूमेरिक सीरीज के नंबर दोबारा जारी कर दिए गए थे.

तीन महीनों में बदले जाएंगे डुप्लीकेट EPIC नंबर

चुनाव आयोग ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि जिन मतदाताओं के पास डुप्लीकेट EPIC नंबर हैं, उन्हें अगले तीन महीनों के भीतर नए नंबर जारी कर दिए जाएंगे. आयोग ने यह भी कहा कि एक जैसे EPIC नंबर होने का यह मतलब नहीं कि वे वोटर फर्जी हैं. हर वोटर सिर्फ उसी निर्वाचन क्षेत्र में वोट डाल सकता है, जहां वह पंजीकृत है. हालांकि आयोग इस गड़बड़ी को भविष्य में पूरी तरह खत्म करना चाहता है.

आधार से लिंकिंग के फायदे

आधार से वोटर आईडी को लिंक करने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि एक ही व्यक्ति का एक ही वोटर कार्ड रहेगा. इससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और मतदान सूची अधिक विश्वसनीय बनेगी. इसके अलावा इससे एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में एक ही व्यक्ति के नाम से पंजीकरण रोकने में मदद मिलेगी.

डेटा प्राइवेसी को लेकर बढ़ रही चिंता

हालांकि इस पूरी प्रक्रिया को लेकर डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं. कुछ राजनीतिक दलों और नागरिक अधिकार संगठनों ने आशंका जताई है कि वोटर आईडी और आधार लिंक करने से लोगों की निजी जानकारी का दुरुपयोग हो सकता है. चुनाव आयोग का कहना है कि वह सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार कर रहा है और यह सुनिश्चित करेगा कि मतदाताओं का डेटा पूरी तरह सुरक्षित रहे.

चुनाव आयोग का फोकस पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर

चुनाव आयोग का स्पष्ट कहना है कि वोटर आईडी और आधार लिंक करने का मकसद सिर्फ पारदर्शिता और मतदाता सूची को बेहतर बनाना है. आयोग का मानना है कि इस कदम से भविष्य में चुनावों में होने वाली कई गड़बड़ियों को रोका जा सकेगा और जनता का चुनावी प्रक्रिया पर विश्वास और मजबूत होगा.

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