Bag Free Day: उत्तराखंड के स्कूलों में पढ़ाई करने वाले बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए एक बड़ी खबर है. राज्य के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अगुवाई में हाल ही में एक अहम बैठक हुई. जिसमें प्रदेश के सभी निजी विद्यालय संगठनों और स्कूल संचालकों ने हिस्सा लिया. इस बैठक में निजी स्कूलों के संचालन और बच्चों के लिए नई शैक्षिक योजनाओं पर कई बड़े फैसले लिए गए हैं. अप्रैल 2025 से इन सभी फैसलों को लागू किया जाएगा. जिसका असर राज्य के सभी निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों पर सीधा देखने को मिलेगा.
निजी स्कूलों में पढ़ाई जाएगी ‘हमारी विरासत एवं विभूतियां’ किताब
बैठक में सबसे अहम फैसला यह लिया गया कि अब उत्तराखंड राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) द्वारा तैयार की गई किताब ‘हमारी विरासत एवं विभूतियां’ (Hamari Virasat Evam Vibhutiyan) को सभी निजी स्कूलों में भी पढ़ाया जाएगा.
इस किताब के जरिए बच्चों को उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति, ऐतिहासिक स्थलों, राज्य आंदोलन, सामाजिक आंदोलनों, लोकगीतों और लोकनृत्यों के बारे में पढ़ाया जाएगा. शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस किताब से प्रदेश के साथ-साथ देश-विदेश से आने वाले छात्रों को उत्तराखंड की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को जानने का अवसर मिलेगा.
बस्ते का बोझ होगा कम, बैग फ्री डे भी होगा लागू
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि बच्चों पर पढ़ाई के बोझ को कम करने के लिए अब निजी स्कूलों में भी बस्ते का वजन निर्धारित किया जाएगा. सरकारी स्कूलों की तर्ज पर अब निजी स्कूलों में भी कक्षा अनुसार बैग का वजन तय होगा. जिससे बच्चों को भारी-भरकम बस्ते ढोने की परेशानी नहीं होगी.
इसके साथ ही हर महीने एक दिन ‘बैग फ्री डे’ (Bag Free Day) मनाने का निर्णय भी लिया गया है. इस दिन बच्चे स्कूल बिना बस्ते के आएंगे और उन्हें किताबों की जगह रचनात्मक व नई शिक्षण विधियों से पढ़ाई करवाई जाएगी. इसका उद्देश्य बच्चों में पढ़ाई का तनाव कम करना और उन्हें सीखने की प्रक्रिया में आनंद की अनुभूति कराना है.
अप्रैल के पहले सप्ताह से लागू होंगी नई व्यवस्थाएं
डॉ. रावत ने बताया कि ये सभी नए बदलाव अप्रैल माह के पहले सप्ताह से लागू कर दिए जाएंगे. इससे राज्य के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों को सीधा लाभ मिलेगा.
सरकार की मंशा है कि बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया जाए और उन्हें किताबों से परे व्यावहारिक और सांस्कृतिक शिक्षा से भी जोड़ा जाए. स्कूलों में बैग फ्री डे के आयोजन से बच्चों में टीम वर्क, संवाद कौशल और रचनात्मक सोच विकसित होगी.
सरकारी और निजी स्कूलों में साझा होगा संसाधन
बैठक में एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया गया कि अब निजी और सरकारी स्कूलों के बीच टीचिंग शेयरिंग प्रोग्राम (Teaching Sharing Program) चलाया जाएगा. इसके तहत दोनों स्कूलों के शिक्षक आपस में अनुभव और शिक्षण तकनीक साझा करेंगे.
साथ ही दोनों प्रकार के स्कूल अपने प्रयोगशालाओं और खेल मैदानों को भी साझा करेंगे. इससे सरकारी स्कूलों के छात्रों को बेहतर संसाधन मिल सकेंगे और निजी स्कूलों में भी सरकारी स्कूलों के अनुभव से बच्चों को लाभ होगा.
विद्या समीक्षा केंद्र से जुड़ेंगे निजी स्कूल
शिक्षा मंत्री ने बैठक में बताया कि सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrollment Ratio) बढ़ाने के लिए निजी स्कूलों को भी विद्या समीक्षा केंद्र (Vidya Samiksha Kendra) से जोड़ा जाएगा.
इससे शिक्षा विभाग को यह जानने में आसानी होगी कि स्कूलों में बच्चों का प्रदर्शन कैसा है और किन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है. इससे शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.
सामाजिक जिम्मेदारी निभाएंगे निजी स्कूल शिक्षक
बैठक में शिक्षा मंत्री ने सभी निजी स्कूल शिक्षकों से ‘साक्षर उत्तराखंड अभियान’ (Literate Uttarakhand Campaign) का हिस्सा बनने की अपील की. उन्होंने कहा कि हर शिक्षक कम से कम एक निरक्षर व्यक्ति को साक्षर बनाने का संकल्प लें.
इसके अलावा ‘निक्षय मित्र’ योजना के तहत सभी शिक्षकों से आग्रह किया गया कि वे टीबी मरीजों को गोद लें और उनके इलाज में सहयोग करें. इस पर निजी स्कूलों के संचालकों और शिक्षकों ने सहमति जताई और इस दिशा में काम करने का भरोसा भी दिया.
शिक्षा नीति-2020 के तहत तेजी से हो रहे सुधार
डॉ. रावत ने कहा कि उत्तराखंड में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (NEP-2020) के तहत शिक्षा क्षेत्र में लगातार सुधार किए जा रहे हैं. इस नीति का उद्देश्य बच्चों के समग्र विकास, बस्ते के बोझ को कम करने और व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ावा देने पर है.
सरकार निजी और सरकारी दोनों स्कूलों में इस नीति को तेजी से लागू कर रही है. निजी स्कूलों के संचालकों ने भी इन सुधारों में सरकार का साथ देने का वादा किया है.